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अद्भुत है यह घास! इससे बनता है खास बर्तन, जिसमें रखी जाती है 2 से 5 कुंतल तक रोटी और पूड़ी

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हमारे आसपास ऐसी कई पारंपरिक चीज़ें मौजूद हैं जिन्हें देखकर लोग हैरान रह जाते हैं. कुछ ऐसी ही एक अनोखी चीज़ है बांस की टहनी से बनाई जाने वाली खैंची. यह एक खास तरह का पारंपरिक बर्तन है, जिसका इस्तेमाल भारतीय ग्रामीण समाज में खासतौर पर रोटी और पूड़ी रखने के लिए किया जाता है. आइए जानते हैं, यह खैंची किस तरह बनाई जाती है और इसका उपयोग किन-किन कामों में होता है.

puri rakhne wali khaichi

भारतीय ग्रामीण क्षेत्र में पारंपरिक रूप से ऐसे बहुत से बर्तन रहे हैं जो आज विलुप्त होने की कगार पर हैं. उसी में है एक बांस का बर्तन जिसे ‘खैंची’ कहा जाता है.आपको बता दें की बांस से बनी ये खैंची इतने बड़े आकार में बनाई जाती है कि इसमें दो कुंटल से लेकर 5 कुंटल तक रोटी और पूड़ी रखी जा सकती है.

खाची

खैंची का महत्व भारत के उत्तरी ग्रामीण क्षेत्र में आज भी उतना ही है जितना 100 साल पहले हुआ करता था. तो आइए जानते हैं, कैसे बनती है यह खैंची और इसका प्रयोग पूरी रखने के अलावा और अन्य कामों में कहां-कहां किया जाता है.

मोड़

खैंची बनाने वाले स्थानीय राधेश्याम ने बताया कि खैंची बनाने की सबसे पहली प्रक्रिया यह है कि इसको हम बांस की कोठ से बांस से निकलने वाली कैनी (बांस की डंडियां) को लेकर आते हैं और यह कैनी सूखने न पाए, उससे पहले ही मूंज के तोड़ या फिर बांस की कैनी को फाड़ कर रस्सी के रूप में इसका प्रयोग करते हैं.

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उसके बाद सबसे पहले खैंची के तल को बनाया जाता है, फिर उसके बाद उसके किनारों को ठीक कर एक-दूसरे में कसा जाता है, जिसका छेद बर्फी के आकार का हो जाता है.

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राधेश्याम ने बताया कि खैंची बनाने के लिए बांस की कैनी, मूंज का और प्लास्टिक का तोड़, फज्जी काटने के लिए कटर मशीन आदि का प्रयोग किया जाता है. इसके साथ ही, कोशिश यह की जाती है कि बांस की कैनी हरी रहे, उसी दरमियान खैंची को तैयार कर लिया जाए.

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आपको बता दें कि यह खैंची अलग-अलग साइज की बनाई जा सकती है. कुछ खैंची छोटे आकार में होती हैं, जिसमें 50 किलो तक रोटी और पूड़ी रखी जा सकती है. वहीं, कुछ खैंची इतनी अधिक बड़ी होती हैं कि उनमें 5 कुंतल तक भी पूड़ी और रोटी रखी जा सकती है.

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वैसे तो खैंची का इस्तेमाल कई कामों में किया जाता है, लेकिन भारत के ग्रामीण इलाके में, खासकर उत्तर भारत में, खैंची पूड़ी रखने के काम में लाई जाती है. इन खैंचियों में दो कुंतल से लेकर 5 कुंतल तक पूड़ी रखी जा सकती है. इसके अलावा भूसा रखने और अनाज ढोने के काम में भी खैंची का इस्तेमाल होता है.

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राधेश्याम ने बताया कि वे 1 दिन में लगभग चार से पांच खैंची तैयार कर लेते हैं, जिसमें एक खैंची की कीमत 400 से 500 रुपए और साइज के अनुसार होती है. हालांकि वर्तमान समय में इसकी अधिक डिमांड न होने की वजह से यह विलुप्त होती जा रही है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में इसका महत्व आज भी उतना ही है जितना पहले हुआ करता था.

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2 से 5 कुंतल पूड़ी रखने वाला बर्तन! बांस की घास से बनती है अनोखी ‘खैंची’, जाने

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