UP की इस मंस्जिद के अंदर मौजूद है एक रहस्यमयी पत्थर, देखकर लोग हो जाते हैं हैरान, रोचक है इतिहास

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Jaunpur News: चार ऊंगली मस्जिद न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह जौनपुर की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का जीवंत प्रतीक है. इसकी दीवारों में इतिहास की कहानियां छिपी हैं और पत्थरों में रहस्य. ज़रूरत है तो सिर्…और पढ़ें

चार उंगली मस्जिद
हाइलाइट्स
- जौनपुर की चार ऊंगली मस्जिद 1430 ईस्वी में बनी थी.
- मस्जिद में ‘चार ऊंगली पत्थर’ रहस्यमयी है.
- मस्जिद का संरक्षण और रखरखाव संतोषजनक नहीं है.
जौनपुर: जौनपुर जिले में स्थित चार ऊंगली मस्जिद जिसे ‘खालिस मुखलिस मस्जिद या ‘दरबिया मस्जिद’ के नाम से भी जाना जाता है. यह इतिहास, रहस्य और वास्तुकला का अद्भुत संगम है. यह मस्जिद न केवल अपनी स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसमें मौजूद एक रहस्यमयी पत्थर—जिसे ‘चार ऊंगली पत्थर’ कहा जाता है, के कारण भी लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है.
इस मस्जिद का निर्माण 1430 ईस्वी के आसपास शर्की सुल्तान इब्राहिम शाह के दो प्रमुख सरदारों, मलिक खालिस और मलिक मुखलिस ने करवाया था. यह मस्जिद प्रसिद्ध सूफी संत सैयद उस्मान शिराज़ी की याद में बनवाई गई थी, जो तैमूर के आक्रमण के दौरान ईरान से भारत आए थे और जौनपुर में बस गए थे. उनकी मजार मस्जिद के सामने स्थित है, जिसे स्थानीय लोग ‘मीर घर’ के नाम से जानते हैं.
चार ऊंगली मस्जिद की स्थापत्य शैली शर्की युग की बेजोड़ कला को दर्शाती है. इसका गुंबददार ढांचा, मेहराबें और पत्थरों की नक़्काशी उस दौर की वास्तुकला की श्रेष्ठता का प्रमाण हैं. हालांकि अब इसका एक हिस्सा जर्जर हो चुका है और कुछ भाग गिर भी गया है, फिर भी इसका शिल्प आज भी पर्यटकों और इतिहास प्रेमियों को आकर्षित करता है.
मस्जिद की सबसे रोचक बात है इसमें लगा ‘चार ऊंगली पत्थर. यह पत्थर मस्जिद की दीवार में जड़ा हुआ है और स्थानीय जनश्रुति के अनुसार, जब भी कोई इस पत्थर की लंबाई मापता, उसका परिणाम चार ऊंगली ही आता है, चाहे मापने वाला कोई भी हो. यह रहस्य आज भी लोगों को हैरान करता है. किंवदंती है कि अंग्रेजों ने इस पत्थर पर गोली चलाई थी, जिसके बाद इसकी रहस्यमयी विशेषता समाप्त हो गई.
वर्तमान में यह मस्जिद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अंतर्गत है, परंतु इसके संरक्षण और रखरखाव की स्थिति संतोषजनक नहीं है. मस्जिद के पीछे का हिस्सा गिर चुका है और वहां कोई स्थायी देखभाल की व्यवस्था नहीं है. स्थानीय नागरिकों और इतिहास प्रेमियों का मानना है कि यदि इसका पुनरुद्धार और प्रचार-प्रसार किया जाए, तो यह एक प्रमुख पर्यटन स्थल बन सकता है.
चार ऊंगली मस्जिद न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह जौनपुर की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का जीवंत प्रतीक है. इसकी दीवारों में इतिहास की कहानियां छिपी हैं और पत्थरों में रहस्य. ज़रूरत है तो सिर्फ इसके संरक्षण और जागरूकता की, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इस अनमोल विरासत से प्रेरणा ले सकें.