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Summer Tips: ना बिजली की झंझट, ना बिल का टेंशन… इस देसी जुगाड़ से मिलेगा AC जैसा ठंडा अहसास

आखरी अपडेट:

भीषण गर्मी में राहत देने वाली बांस की चटाई, पारंपरिक देसी जुगाड़ है जो लू को रोककर घर को ठंडा रखती है. फर्रुखाबाद के कारीगर अब भी इसे बना रहे हैं और कम कीमत पर लोगों तक पहुंचा रहे हैं.

एक्स

 बांस

बांस को तराशकर बनाई गई चटाई दिखाते कारीगर

हाइलाइट्स

  • बांस की चटाई गर्मी में ठंडक देती है.
  • फर्रुखाबाद के कारीगर सस्ती चटाई बनाते हैं.
  • चटाई लू को रोककर घर ठंडा रखती है.

सत्यम कटियार/फर्रुखाबाद- गर्मी के मौसम में जब तापमान 45 डिग्री को छूने लगता है, तब बांस की पारंपरिक चटाई एक सस्ता, टिकाऊ और प्राकृतिक विकल्प बनकर उभरती है. यह चटाई सिर्फ घर को ठंडा नहीं रखती, बल्कि AC जैसा अहसास भी देती है. बुजुर्गों की मानें तो यह देसी जुगाड़ सदियों से गर्म हवाओं को रोकने और घर का तापमान कम रखने के लिए इस्तेमाल होता आया है.

लू को कहिए अलविदा
शहरों से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक बांस की चटाई की मांग बनी हुई है. यह न केवल दीवारों, छतों और फर्श को ढंकने में मदद करती है, बल्कि उन स्थानों पर जहां सीधी गर्म हवा आती है, वहां इसे लगाने से घर के अंदर गर्मी का असर बेहद कम हो जाता है. बांस की यह चटाई गर्म हवाओं (लू) को अंदर आने से रोकती है, जिससे घर के अंदर का तापमान ठंडा बना रहता है.

फतेहगढ़ में चल रही पुश्तैनी परंपरा
फर्रुखाबाद के फतेहगढ़ क्षेत्र में रहने वाले कारीगर राधे बताते हैं कि यह उनके परिवार का पुश्तैनी काम है. आज भी वे इसे बड़े गर्व से करते हैं. उनके अनुसार, चटाई की मांग न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि आस-पास के जिलों से भी आती है. राधे की दुकान फतेहगढ़ मुख्य मार्ग पर स्थित है, जहां पर लंबाई के हिसाब से चटाई बेची जाती है. ग्राहक अपने नाप के अनुसार ऑर्डर भी दे सकते हैं.

महंगे बांस के बावजूद बनी हुई है मांग
आज के समय में बांस की लकड़ी की कीमतें बढ़ गई हैं, जिससे निर्माण लागत भी बढ़ गई है. फिर भी लोग इस चटाई को पसंद करते हैं क्योंकि यह कम खर्च में गर्मी से राहत देती है. राधे बताते हैं कि वे हर आकार की चटाइयां तैयार करते हैं. कम दामों में ग्राहकों तक पहुंचाते हैं.

ऐसे बनती है बांस की चटाई
उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में लकड़ी पर आधारित हस्तकला की समृद्ध परंपरा रही है. चटाई निर्माण की प्रक्रिया काफी कुशल और समय लेने वाली होती है. पहले बांस को छीलकर उसकी चमड़ी हटाई जाती है, फिर उसे लंबाई में कई हिस्सों में काटा जाता है. इन पट्टियों को खास बुनाई के तरीके से चटाई का रूप दिया जाता है

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