एक जड़ी-बूटी जो है 10 इत्रों की रानी! कन्नौज में बनता है इसका एसेंशियल ऑयल, जानिए फायदे और कीमत

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Kannauj Perfumes: कन्नौज में नागर मोथा से इत्र और एसेंशियल ऑयल बनाए जाते हैं, जो औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं. इसकी कीमत ₹25,000-₹30,000 प्रति किलो है. इसकी डिमां ड देश-विदेश में रहती है.

जड़ी बूटी से तैयार खास इत्र नागरमोथा
हाइलाइट्स
- नागर मोथा इत्र और एसेंशियल ऑयल औषधीय गुणों से भरपूर है.
- इत्र, पान मसाला, हवन सामग्री और दवाओं में नागर मोथा का उपयोग होता है.
- नागर मोथा की कीमत ₹25,000-₹30,000 प्रति किलो है.
Kannauj Perfumes: इत्र नगरी कन्नौज में हजारों सालों से इत्र बनाने का काम किया जा रहा है. यहां न केवल फूलों से इत्र तैयार होता है, बल्कि कई जड़ी-बूटियों से भी खास इत्र और एसेंशियल ऑयल बनाए जाते हैं. इन्हीं में से एक है नागर मोथा, जो दिखने में घास की तरह होती है, लेकिन इसके गुण इसे बेहद खास बना देते हैं. नागर मोथा एक विशेष प्रकार की जड़ी-बूटी है जो जंगली इलाकों में पाई जाती है. इसे आमतौर पर “अखरोट घास” के नाम से भी जाना जाता है. इसकी खुशबू इतनी खास होती है कि इसे इत्र, अगरबत्ती, मसालों और हवन सामग्री में इस्तेमाल किया जाता है. यह औषधीय गुणों से भरपूर होती है और खासकर घुटनों के दर्द में यह बेहद लाभकारी मानी जाती है.
कैसे बनता है नागर मोथा से इत्र?
नागर मोथा ज्यादातर हिमालयी क्षेत्रों और भारत के कई हिस्सों से कन्नौज लाई जाती है. यहां इसे सुखाकर पाउडर फॉर्म में बदला जाता है, फिर पारंपरिक विधियों से इत्र निकाला जाता है.
कन्नौज में बनने वाले करीब 10 तरह के इत्रों में नागर मोथा का इस्तेमाल किया जाता है. यह इत्र बाकी परफ्यूम की खुशबू को भी और बेहतर बना देता है.
कहां-कहां होता है उपयोग?
नागर मोथा का उपयोग सिर्फ इत्र बनाने में नहीं, बल्कि पान मसाला, हवन सामग्री, और आयुर्वेदिक दवाओं में भी होता है. इसकी एसेंशियल ऑयल फॉर्म घुटनों के दर्द में काफी फायदेमंद मानी जाती है. यही वजह है कि इसकी डिमांड देश-विदेश में हमेशा बनी रहती है.
कितना है रेट?
बात करें कीमत की तो नागर मोथा की कीमत ₹25,000 प्रति किलो से शुरू होकर ₹30,000 प्रति किलो तक जाती है. इसकी शुद्धता और औषधीय गुण की वजह से इसकी बाजार में काफी डिमांड है. कन्नौज के इत्र व्यापारी निशीष तिवारी बताते हैं कि नागर मोथा से बनने वाला इत्र और एसेंशियल ऑयल बेहद खास होता है. इसकी मांग हमेशा बनी रहती है क्योंकि यह कई तरह के इत्रों का बेस बनाता है और दवाओं में भी इसका उपयोग होता है.