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Dharohar : जहां प्रभु राम ने बिताई वनवास की पहली रात, अमेठी में वो नदी का किनारा आज भी जस का तस

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Dharohar Amethi : यूपी के कई मंदिर दुनियाभर में चर्चित हैं. कई सदियों से चर्चा में रहे हैं. अमेठी का ये मंदिर भी निराला है. इसका कनेक्शन सीधे त्रेता युग से है. भगवान राम के वनवास का ये पहला स्टॉपेज था.

अमेठी. यूपी मंदिरों का प्रदेश है. यहां के कई मंदिर दुनियाभर में चर्चित हैं. कई मंदिर स्थानीय स्तर पर सदियों से चर्चा में रहे हैं. अमेठी का ये मंदिर ऐसा ही है. इसका कनेक्शन सीधे त्रेता युग से है. त्रेता युग से कनेक्शन के कारण ये सिर्फ अमेठी तक सीमित नहीं है बल्कि अयोध्या से भी इसे जोड़ा जाता है. इसके पीछे की वजह गहरी है. जिस स्थान की हम बात कर रहे हैं, उसकी मान्यता सीधे प्रभु राम से जोड़ी जाती है. यह ऐसा स्थान है जहां वनवास के दौरान जब अयोध्या से वन की ओर आगे बढ़े तो विश्राम किया था. विश्राम के साथ-साथ यहीं पर उन्होंने नदी में स्नान करके पूजा पाठ के बाद फिर अपनी आगे की यात्रा शुरू की थी.

प्रभु राम के इसी विश्राम स्थल पर एक प्रसिद्ध मंदिर की स्थापना की गई है, जो मालती नदी के घाट पर है. प्रभु राम ने इस घाट पर विश्राम किया था इसलिए इस घाट का नाम रामघाट हो गया. इतिहासकार मानते हैं कि यह यूपी का ऐसा पहला स्थान है, जहां प्रभु राम ने सबसे पहले विश्राम किया था. इसका इतिहास गजेटियर में भी दर्ज है.

वरिष्ठ इतिहासकार अर्जुन पांडे बताते हैं कि रामघाट अमेठी के ठेंगहा गांव में स्थित है. प्रभु राम जब अयोध्या से चले तो चलते-चलते रात हो गई. उन्होंने यहीं पर विश्राम करने का फैसला किया. सुबह यहीं पर दातुन किया. नहाया. पूजा पाठ किया. फिर आगे बढ़ गए. यहीं से उन्होंने अपनी आगे की यात्रा शुरू की. इतिहासकार अर्जुन पांडे के अनुसार, इस नदी की भी अपनी विशेष महत्त्व है. ये नदी पुरातत्व के गजेटियर में दर्ज है. मालती नदी का जिक्र अपने आप में बेहद खास माना जाता है. यहां आज भी बड़ा मेला लगता है और मूर्तियों का विसर्जन भी यहीं होता है.

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जहां राम ने बिताई वनवास की पहली रात, अमेठी में वो नदी का किनारा आज भी वैसा

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