हायर एजुकेशन के बाद भी नहीं मिली जॉब तो खोली चाय की दुकान, आज किसी नौकरीपेशा से ज्यादा कमाता है ये MA चायवाला!

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MA Chaiwallah: बलिया के अखिलेश एमए पास हैं लेकिन नौकरी न मिलने से उन्होंने चाय की दुकान खोली. आज उनकी दुकान में इतने ग्राहक आते हैं कि शायद नौकरी से भी वे इस लेवल की कमाई नहीं कर पाते.

Ma चाय वाले की खासियत
हाइलाइट्स
- अखिलेश ने नौकरी न मिलने पर चाय की दुकान खोली.
- उनकी चाय की दुकान बलिया जिले में मशहूर है.
- पीतल के बर्तन में बनी चाय मिट्टी के कुल्हड़ में सर्व होती है.
बलिया: कहने वाले ने सच ही कहा है, “कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता, बल्कि काम करने का तरीका बड़ा होता है.” यह पंक्ति बलिया के उस चाय वाले पर बिलकुल सटीक बैठती है, जिसने पढ़ाई-लिखाई के बाद भी सरकारी नौकरी नहीं मिलने पर हार नहीं मानी, बल्कि खुद का रोजगार शुरू किया. इसी के साथ आज पूरे जिले में एक अलग पहचान बना ली है. हम बात कर रहे हैं अखिलेश MA चाय वाले की, जिनकी चाय की दुकान न सिर्फ स्वाद में खास है, बल्कि उनके संघर्ष और मेहनत की कहानी भी लोगों के दिलों को छू जाती है.
ऐसे शुरू हुआ सफर
अखिलेश बलिया जिले के जगदीशपुर के रहने वाले हैं. उन्होंने हाई स्कूल, इंटर और फिर टीडी कॉलेज से बीए और एमए तक की पढ़ाई पूरी की. वे लगातार सरकारी नौकरी के लिए प्रयास करते रहे, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी. जब यह समझ में आ गया कि नौकरियों की कतार लंबी है और समय हाथ से निकल रहा है, तो उन्होंने ठान लिया कि अब किसी और के लिए नहीं, बल्कि खुद के लिए काम करना है. यहीं से शुरू हुई उनकी चाय की दुकान की कहानी.
चाय पर चर्चा
अखिलेश ने अपनी खुद की छोटी सी दुकान खोली और उसे ही अपना सपना बना लिया. उन्होंने न केवल इस काम को गंभीरता से लिया, बल्कि हर दिन इसे और बेहतर बनाने में अपना पूरा मन, समय और मेहनत लगा दी. आज नतीजा यह है कि उनकी चाय की दुकान पूरे बलिया जिले में मशहूर है. सुबह-सुबह यहां लोगों की भीड़ जुट जाती है. सिर्फ चाय पीने के लिए नहीं, बल्कि चर्चा और संवाद के लिए भी यह जगह लोकप्रिय बन चुकी है.
पीतल के बर्तन में बनती है, मिट्टी के कुल्हड़ में सर्व होती है
उनकी चाय की खास बात यह है कि वह इसे पीतल के बर्तन में बनाते हैं. वहीं, ग्राहकों को यह चाय मिट्टी के कुल्हड़ में दी जाती है, जिससे इसका स्वाद और भी खास हो जाता है. पीतल की गर्माहट और कुल्हड़ की सौंधी खुशबू चाय को एक अलग ही अनुभव देती है. इसी वजह से दूर-दूर से लोग उनकी दुकान पर आते हैं. अखिलेश बताते हैं कि उनकी इस दुकान से उनका और उनके परिवार का भरण-पोषण अच्छे से हो रहा है और उन्हें किसी बात का अफसोस नहीं है.
जान लें लोकेशन
उनकी दुकान रेलवे स्टेशन से कुछ ही दूरी पर, हॉस्पिटल तिराहे के पास है. वहां आने वाले ग्राहक जैसे शिक्षक रोनी ओनर, रवि कुमार और फिरोज जैसे कई लोग कहते हैं कि यह चाय घर जैसी लगती है और पूरे जनपद में सबसे अलग स्वाद देती है. कई लोग तो वर्षों से यहां चाय पीने आते हैं. अखिलेश की यह कहानी बताती है कि हौसला हो तो कोई भी काम छोटा नहीं होता और मेहनत से हर सपना साकार किया जा सकता है.