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यूपी में बारिश का तांडव! अगर 24 घंटे भी हो गई ये गलती… तो खेतों में बर्बाद होगी दलहनी फसल

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Farming Tips : यूपी में लगातार हो रही भारी बरसात से खेतों में पानी भरने लगा है. अगर 24 घंटे के भीतर निकासी की व्यवस्था नहीं हुई, तो दलहनी फसलों में सड़न और रोग फैलने से भारी नुकसान हो सकता है. किसान सलाह पर अमल…और पढ़ें

सुल्तानपुर : मौसम विभाग के अनुसार उत्तर प्रदेश में अगस्त के महीने में सामान्य से 103% अधिक वर्षा दर्ज की गई. यूपी में अगस्त के महीने में बारिश का औसत 51.4 मिमी है जबकि इस दौरान 104.1 मिमी बारिश दर्ज की गई. यूपी के पूर्वी हिस्से में 90% और पश्चिमी हिस्से में 120% अधिक बारिश हुई. मुरादाबाद से प्रयागराज और बुलंदशहर तक गंगा नदी उफान पर है. ऐसे में यह भारी बारिश उन फसलों के लिए काल बनकर आई है जिनके पौधे काफी नाजुक होते हैं.

इस मौसम में दलहनी और तिलहनी फसले भारी बारिश को नहीं झेल पाती और उनके पौधे भारी बारिश में गल कर सड़ जाते हैं जिससे किसानों को न सिर्फ आर्थिक नुकसान होता है बल्कि उनकी फसल चक्र भी खराब हो जाती है. अगर आप भी दलहन और तिलहन की खेती करते हैं तो यह खबर आपके लिए काम की है क्योंकि आज इस खबर में कृषि वैज्ञानिक बताएंगे कि आखिर इस भारी बारिश के मौसम में किस तरह से अपनी फसलों को सुरक्षित रखा जाए.

जल निकासी का करें प्रबंध

कृषि विज्ञान केंद्र सुलतानपुर के वैज्ञानिक डॉ. सी के त्रिपाठी ने लोकल 18 को बताया कि इस समय भारी बारिश के मौसम में दलहनी और तिलहनी फैसले काफी असुरक्षित महसूस करती हैं. उनके पौधे और उनकी जड़ें काफी नाजुक होती हैं. अगर इनके जड़ों में लगातार 24 घंटे पानी रुका रहा तो यह आशंका रहती है कि यह पौधे गल जाएंगे और सड़ जाएंगे. ऐसे में अपने खेत से जल निकासी का उचित प्रबंध करना चाहिए ताकि खेत में पानी न रुकने पाए.

इन बातों का रखें ध्यान
डॉ. सी के त्रिपाठी बताते हैं कि किसान भाइयों से अनुरोध है कि वह अपने खेतों में बरसात में उड़द-मूंग,तिल लगाते हैं तो ठंड में चना और मटर की फसल न लगाएं. अगर किसान भाइयों ने अभी अपने खेत में दलहन की फसल लगाई है तो ठंड के रबी सीजन में उस खेत में अनाज या तिलहन या सब्जी वाली फसलें लगानी चाहिए.

फसल चक्र पर भी दें ध्यान
किसान भाइयों को अपने खेत में फसल चक्र अपनाना चाहिए. उन्हे अपने खेतों में फसलों का हेर-फेर करते रहना चाहिए. जिससे खेतों की मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी बनी रहेगी और उत्पादन भी बढ़ेगा. इसके साथ ही बारिश के मौसम में मिट्टी में जड़ें भी काफी मजबूत रहेंगी.

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