Kaushambi News: क्यों प्रसिद्ध है कौशांबी की बौद्ध भूमि? जानिए इसका प्राचीन इतिहास

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उत्तर प्रदेश का कौशांबी जिला ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण स्थान रखता है. इसका संबंध प्राचीन कौशाम्बी नगर सभ्यता से है, जिसका उल्लेख वाल्मीकि रचित रामायण और महाभारत में मिलता है. महाभारत में इसे कुशम्ब के नाम से जाना जाता था. बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए भी यह जिला विशेष महत्व रखता है, क्योंकि भगवान बुद्ध ज्ञान प्राप्ति के बाद अपने छठे और नौवें वर्ष में यहां रुके थे और उपदेश दिए थे. यही कारण है कि कौशांबी आज भी आस्था, इतिहास और पुरातत्त्व का प्रमुख केंद्र बना हुआ है.

उत्तर प्रदेश का कौशांबी जिला प्राचीन कौशाम्बी नगर सभ्यता का उल्लेख वाल्मीकि रचित रामायण में मिलता है. महाभारत में भी कौशांबी को कुशम्ब के नाम से जानते थे. उत्तर प्रदेश का कौशांबी जिला एक प्रमुख क्षेत्र है. कौशांबी जिला बौद्ध धर्म के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि बुद्ध यहीं रुके थे और उन्होंने ज्ञान प्राप्ति के बाद अपने छठे और नौवें वर्ष के दौरान अपनी शिक्षाओं का प्रचार कौशाम्बी में किया था. इसी कारण से कौशाम्बी को बौद्धों के लिए उच्च शिक्षा का केंद्र भी माना जाता है.

कौशाम्बी जिले की स्थापना यमुना नदी के किनारे चेदी राजकुमार कुश या कुशम्बा ने की थी. इसलिए कालांतर में इसका नाम कौशांबी पड़ा. कौशांबी को भारत में भगवान बुद्ध के जीवनकाल के छह समृद्ध शहरों में से एक माना जाता है. यह स्थल देश के चारों कोनों से व्यापार और वाणिज्य का केंद्र होने के कारण विशेष महत्व रखता था. यहां हुई खुदाई में कई पुराने सिक्के, प्रतिमाएं, स्तूप आदि मिले हैं, जो इस क्षेत्र के गौरवशाली इतिहास की गवाही देते हैं. यहां पर अशोक स्तंभ, एक जैन मंदिर, एक पत्थर का किला और घोषिताराम मठ स्थित हैं. यही वह स्थान है जहां भगवान बुद्ध बोध ज्ञान प्राप्त होने के छठवें और नौवें वर्ष में उपदेश देने आए थे.

उत्तर प्रदेश का कौशांबी जिला घूमने के लिए लोकप्रिय बौद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है और इसे एक पुरातात्विक स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है. यहां कई खुदाई हुई हैं, जो पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को इस प्राचीन शहर की ओर समान रूप से आकर्षित करती हैं. बौद्ध पर्यटक स्थलों पर दूर-दूर से लोग घूमने के लिए आते हैं. पर्यटक कौशांबी और बौद्ध से जुड़ी कहानियों को भी जानने का प्रयास करते हैं.

कौशांबी शहर में घूमने के लिए सबसे अच्छी जगहों में से एक मठ का स्थल है, जो कभी अस्तित्व में था. घोसीताराम कहलाने वाले इस मठ का निर्माण कौशांबी के एक शाही कोषाध्यक्ष ने करवाया था. यह मठ 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व का है. ऐसा भी कहा जाता है कि बुद्ध भी किसी समय इस मठ में रुके थे, और इसलिए यह तीर्थ यात्रा के लिए कौशांबी आने वाले भक्तों के लिए एक दिलचस्प जगह है. बुद्ध के कौशांबी शहर में आने और मठ में उनके ठहरने का उल्लेख बौद्ध धर्म के पवित्र ग्रंथ त्रिपिटक में कई उदाहरणों में मिलता है.

कौशांबी जिले के यमुना नदी के किनारे बसा यह कस्बा बौद्ध नगरी के रूप में बेहद प्रसिद्ध माना जाता है. बौद्ध नगरी कौशांबी जिले में कई हेक्टेयर में फैली हुई है. कई वर्षों पहले यमुना नदी के किनारे बसे इस क्षेत्र में लोगों का व्यापार भी हुआ करता था.

किसी भी नगर का अतीत उसका वर्तमान और भविष्य दोनों का गौरव होता है. यही विरासत सभ्यता के विकास का प्रतीक भी मानी जाती है. हमारे गौरव का प्रतीक अशोक स्तंभ, यदि मुगल बादशाह अकबर उसे इलाहाबाद न ले गया होता, तो प्राचीन वैभव की दृष्टि से कौशांबी की ख्याति कुछ और ही होती.