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सुबह टॉयलेट में जो फ्लश कर देते हैं आप, उसे खरीदने के ल‍िए 1.7 बिलियन डॉलर खर्च कर रहा माइक्रोसॉफ्ट

आखरी अपडेट:

Microsoft ने $1.7 बिलियन का समझौता किया है, जिससे 4.9 मिलियन मीट्रिक टन CO2 हटाने का लक्ष्य है. Vaulted Deep के साथ यह डील कचरे को जमीन के नीचे स्टोर करेगी, जिससे मीथेन उत्सर्जन रोका जा सके.

सुबह टॉयलेट में जो फ्लश कर देते हैं आप, उसे $1.7 बिलियन में खरीद रहा Microsoft

हाइलाइट्स

  • Microsoft ने $1.7 बिलियन का समझौता किया है.
  • इससे 4.9 मिलियन मीट्रिक टन CO2 हटाने का लक्ष्य है.
  • बायोस्लरी को जमीन के नीचे स्टोर किया जाएगा.
नई द‍िल्‍ली. Microsoft ने $1.7 बिलियन का समझौता किया है जो 12 साल तक चलेगा. यह समझौता एक अमेरिकी स्टार्टअप के साथ किया गया है. इस समझौते का मकसद AI और क्लाउड सेवाओं के इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाना नहीं है, बल्कि अपने जलवायु लक्ष्यों को पूरा करना है. Vaulted Deep के साथ इस डील के तहत, टेक कंपनी मानव अपशिष्ट, खाद और अन्य जैविक उप-उत्पाद खरीदेगी, जिन्हें सामूहिक रूप से बायोस्लरी कहा जाता है और इन्हें लगभग 5,000 फीट जमीन के नीचे इंजेक्ट किया जाएगा.

कंपनी क्‍या करेगी इसका?
इससे Microsoft का लक्ष्य 4.9 मिलियन मीट्रिक टन कार्बन डाइऑक्साइड को पृथ्वी से हटाना है. यह डील Microsoft के AI डेटा सेंटर ऑपरेशन्स के विस्तार के तुरंत बाद आई है, जिससे कंपनी का कार्बन फुटप्रिंट 2020 से 2024 के बीच लगभग 23-30% तक बढ़ रहा है. कंपनी ने AI इंफ्रास्ट्रक्चर से लगभग 75.5 मिलियन मीट्रिक टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर उत्सर्जन किया. कार्बन हटाने की औसत लागत लगभग $350 प्रति टन है और यह डील कचरे को कार्बन स्टोरेज में बदलने के सबसे महत्वपूर्ण निवेशों में से एक है, जैसा कि वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट में बताया गया है.

ये उत्सर्जन केवल सीधे ऊर्जा उपयोग से नहीं आते, बल्कि ज्यादातर अप्रत्यक्ष स्रोतों से होते हैं जैसे हार्डवेयर का उत्पादन, निर्माण सामग्री (स्टील, कंक्रीट) और सप्लाई चेन, जिन्हें स्कोप 3 उत्सर्जन कहा जाता है. इसके बावजूद, कंपनी का लक्ष्य 2030 तक कार्बन नेगेटिव बनना है.

स्टार्टअप सीवेज को कार्बन स्टोरेज में कैसे बदलेगा?
रिपोर्ट्स के अनुसार, बायोस्लरी को जमीन के नीचे स्टोर करने से प्राकृतिक विघटन को रोका जा सकेगा, जो वातावरण में मीथेन जैसे शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैसों को छोड़ता. मीथेन को ग्लोबल वार्मिंग के मामले में CO2 से कम से कम चार गुना अधिक हानिकारक माना जाता है.

इस समझौते का उद्देश्य अन्य पर्यावरणीय जोखिमों को भी कम करना है, जिसमें बायोसॉलिड्स के पारंपरिक निपटान के तरीके शामिल हैं, जैसे कि उन्हें खेतों में फैलाना. यह तरीका न केवल जल प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है, बल्कि इसमें पीएफएएस जैसे रसायनों से होने वाला प्रदूषण भी शामिल है.

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