यूपी के इस गांव में रक्षा बंधन पर करते हैं विलाप, यहां सालों से भाइयों की कलाई है सूनी..जानिए क्या है दर्दभरी कहानी

आखरी अपडेट:
Saharanpur News: गांव में जमाल खाँ पठान शासक हुआ करता था जो बहन, बेटियों और बहुओं के साथ अत्याचार किया करता था. उस अत्याचार से परेशान हुए ग्रामीणों ने शासन के सेवादार से मिलकर जमाल खाँ पठान को मारने की रणनीति ब…और पढ़ें
हाइलाइट्स
- सहारनपुर के अघ्याना गांव में नहीं मनता रक्षा बंधन.
- कहा जाता है कि उस क्षेत्र में जमाल खाँ पठान शासक हुआ करता था.
- जो बहन, बेटियों और बहुओं के साथ अत्याचार करता था.
बताया जाता है कि कभी उनके क्षेत्र में जमाल खाँ पठान शासक हुआ करता था, जो बहन, बेटियों और बहुओं के साथ अत्याचार करता था. उस अत्याचार से परेशान ग्रामीणों ने जमाल खाँ पठान को मारने की योजना बनाई और रक्षाबंधन वाले दिन जमाल खाँ पठान का सर कलम कर उसकी हत्या कर दी थी. उस नरसंहार में काफी खून खराबा हुआ था और कई बहनों ने अपने भाइयों को खो दिया था. तभी से ही गांव अघ्याना में रक्षाबंधन का त्यौहार आज तक नहीं मनाया जाता.
ग्रामीण रवि दत्त शर्मा ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि उनके जन्म से पहले ही इस गांव में रक्षाबंधन का त्यौहार नहीं मनाया जाता. बताया जाता है कि यहां पर एक पठान शासक हुआ करता था और यह पूरा गांव एक किला था, जो अब धीरे-धीरे खत्म हो गया. लेकिन आज भी उस किले के अवशेष जगह-जगह पर मिलते हैं. पठान शासक ने ग्रामीणों द्वारा पूजी जाने वाली 365 सती को उखड़वा कर अपने महल में लिखवाया था.
रक्षाबंधन वाले दिन हुआ था नरसंहार, कई बहनों ने खोए थे अपने भाई
जमाल खाँ पठान को मारने के लिए काफी नरसंहार हुआ. एक दिन जब जमाल खाँ पठान शिकार पर जंगल जा रहा था, तब उसके सेवादार ने जमाल खाँ पठान की बंदूक को पानी में फेंक दिया और पहले से तैयार बैठे ग्रामीणों को इसकी सूचना दे दी. इसके बाद ग्रामीणों ने जमाल खाँ पठान की गर्दन काटकर उसे मौत के घाट उतारा. उस नरसंहार में काफी ग्रामीणों की भी मौत हुई थी. वह दिन रक्षाबंधन का दिन था और तभी से ही इस गांव में रक्षाबंधन का त्यौहार नहीं मनाया जाता.