बारिश के बाद खेत में बिखेर दें मोटे अनाज के 8 किलो बीज, 60 दिन में होगी 20 क्विंटल पैदावार

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Kodo Farming Tips : अगर आपके इलाके में बारिश काम होती है या सूखे जैसे हालत हैं तो आप धान की जगह इस मोटे अनाज की खेती कर सकते हैं. जुलाई का महीना कोदो की फसल की बुवाई के लिए उपयुक्त है.कोदो की फसल बेहद कम लागत म…और पढ़ें
कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर में तैनात कृषि एक्सपर्ट डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि मोटे अनाजों में कोदो एक खास स्थान रखती है. यह खरीफ के मौसम में बोई जाने वाली मोटे अनाजों में प्रमुख फसल है. जो जुलाई के अंत तक बोई जा सकती है. खास बात यह है कि इसको तैयार करने के लिए किसानों को कम लागत लगानी पड़ती है. कोदो में दूसरे अनाजों के मुकाबले कहीं ज्यादा पोषक तत्व पाए जाते हैं. सरकार द्वारा कोदो की बुवाई के लिए किसानों को प्रोत्साहित भी किया जा रहा है. कृषि विभाग द्वारा किसानों को मिनी सीट किट मुफ्त उपलब्ध कराई जाती है.
कोदो की बुवाई के लिए सबसे पहले खेत को डिस्क हैरो से अच्छी तरह से जोत लें. इसके बाद एक बार रोटावेटर चलाकर मिट्टी को भुरभुरा बना लें. पाटा लगाकर खेत को समतल करें. खेत समतल होने के बाद कोदो की बुवाई की जा सकती है. प्रति हेक्टेयर लगभग 8 से 10 किलो बीज की आवश्यकता होती है. बुवाई करते समय पंक्तियों के बीच की दूरी 15 से 20 सेंटीमीटर और पौधों के बीच की दूरी 10 सेंटीमीटर रखें. इससे किसानों को बेहतर उपज मिलेगी.
कोदो की बुवाई का सही तरीका
खेत की आखिरी जुताई से पहले, प्रति हेक्टेयर खेत में दो ट्राली सड़ी हुई गोबर की खाद, 40 किलो नाइट्रोजन, 30 से 40 किलो फास्फोरस और 20 से 25 किलो पोटाश डालकर अच्छी तरह से जुताई कर दें. इसके बाद कोदो के बीज की बुवाई करें.
कोदो की खेती में लागत कम मुनाफा अधिक
कोदो की फसल लगभग 60 से 80 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. जिससे किसानों को प्रति हेक्टेयर 15 से 20 क्विंटल तक उपज मिलती है. बाजार में कोदो का भाव लगभग 2500 से 3 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक होता है. यही वजह है कि कोदो की खेती किसानों के लिए कम लागत में अच्छा मुनाफा देने वाला विकल्प है.