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Mathura News: योगी सरकार के फैसले के बाद बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर विवाद ने पकड़ा तूल, जानिए आखिर क्या है पूरा मामला

मथुरा: भगवान बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर विवाद अब और गहराता जा रहा है. 26 मई 2025 से गोस्वामी समाज इस कॉरिडोर के निर्माण के खिलाफ लगातार प्रदर्शन कर रहा है. इसके साथ ही कई सामाजिक संस्थाएं भी इस विवाद के विरोध में धरातल पर उतर चुकी हैं. इस खबर में हम आपको इस विवाद की पूरी कहानी विस्तार से बताएंगे कि यह विवाद कैसे शुरू हुआ और अब तक इसकी क्या स्थिति है.

कॉरिडोर विवाद की शुरुआत

लगभग ढाई साल पहले, 19 अगस्त 2022 को जन्माष्टमी के अवसर पर भगवान बांके बिहारी मंदिर में एक बड़ा हादसा हुआ था. उस रात मंगला आरती के दौरान मंदिर में भारी भीड़ जमा हो गई थी. भीड़ के दबाव के कारण दो लोगों की दम घुटने से मौत हो गई थी और कई श्रद्धालु बेहोश हो गए थे. इस दर्दनाक हादसे के बाद विवाद की जड़ें उभरीं.

उत्तर प्रदेश सरकार ने उसी समय बांके बिहारी मंदिर के आसपास एक कॉरिडोर निर्माण की योजना बनाई। लेकिन इस योजना के खिलाफ मंदिर के पुजारियों और गोस्वामी समाज ने जोरदार विरोध शुरू कर दिया. उनकी मांग थी कि इस कॉरिडोर से मंदिर की धार्मिक और पारंपरिक व्यवस्था प्रभावित होगी.

यूपी सरकार का फैसला

उत्तर प्रदेश सरकार ने इस कॉरिडोर निर्माण के लिए एक सलाहकार समिति का गठन किया था. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बांके बिहारी मंदिर के कॉरिडोर निर्माण की आधिकारिक घोषणा की थी, जिससे मंदिर के आसपास के इलाके को व्यवस्थित और सुरक्षित बनाने की योजना बनाई गई थी. लोकल 18 की टीम ने ग्राउंड रिपोर्टिंग कर इस मामले के हर पहलू का जायजा लिया.

जन्माष्टमी हादसे का पूरा मंजर
2022 की जन्माष्टमी की रात, भगवान बांके बिहारी मंदिर में भीड़ प्रबंधन ठीक न होने की वजह से दो श्रद्धालुओं की दम घुटने से मौत हो गई. हादसे के तुरंत बाद कई लोग बेहोश होकर गिर पड़े थे, जिन्हें पास के अस्पतालों में भर्ती कराया गया. इस हादसे को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संवेदना जताई और मामले की जांच के लिए हाई लेवल कमेटी का गठन किया.

इस कमेटी के अध्यक्ष पूर्व डीजीपी सुल्तान सिंह तथा अलीगढ़ मंडलायुक्त गौरव दयाल थे. अपर मुख्य सचिव गृह अवनीत अवस्थी ने कमेटी गठन के आदेश जारी किए थे. कमेटी को 15 दिनों में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश भी दिए गए थे. हादसे के समय मंदिर के निकास मार्ग पर वीआईपी मूवमेंट चल रहा था. एक वायरल वीडियो में मथुरा के डीएम, एसएसपी और नगर आयुक्त खुद अपने परिवार के साथ मंदिर में दर्शन करते नजर आए. उनके कारण मंदिर के निकास मार्ग बंद हो गया था, जिससे श्रद्धालुओं की भीड़ बाहर निकलने में फंसी रही.

भीड़ के दबाव से हालात बिगड़ गए और मंगला आरती के दौरान कई श्रद्धालु असहज स्थिति में आ गए. अधिकारियों ने अपने परिवारों की सुरक्षा के लिए मंदिर की ऊपरी मंजिल के गेट बंद कर दिए थे, जिससे आपात स्थिति में लोगों को बचाने में मुश्किलें आईं.

मंदिर के सेवादारों और पुजारियों की आपत्ति

मंदिर के सेवादारों ने आरोप लगाया है कि अधिकारियों ने वीआईपी मूवमेंट के नाम पर विशेष सुविधाएं दीं और अपने परिजनों को छत पर बने बालकनी से दर्शन करवाए. इससे आम श्रद्धालुओं को भारी परेशानी हुई. अधिकारियों के इस रवैये के कारण मंदिर में भीड़ नियंत्रण असंभव हो गया और हादसे को रोकना मुश्किल हो गया.

स्थानीय लोगों के अनुसार, डीएम, एसएसपी, एसपी और जिला न्यायपालिका के अन्य अधिकारी वीआईपी दर्शन में व्यस्त थे. भीड़ के बढ़ने और श्रद्धालुओं के बेहोश होने के बाद प्रशासन ने पहले अपने परिवारों को सुरक्षित बाहर निकाला. यह स्थिति और विवाद का मुख्य कारण बनी.

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