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एडीएम बन गए ड्राइवर! खुद गाड़ी चलाकर अपने वाहन चालक को दी ऐसी विदाई, जो बन गई खास

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UP News: वर्षों की सेवा के बाद जब चालक सेवानिवृत्त हुआ तो खुद एडीएम उसके ड्राइवर बने और उन्हें घर तक विदा करने गए. यह देख चालक और परिवार के लोग भावुक थे तो गांव वाले भी गदगद. खुद ड्राइवर की सीट पर बैठकर उनके घर…और पढ़ें

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एडीएम

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हाइलाइट्स

  • एडीएम ने खुद गाड़ी चलाकर चालक को घर छोड़ा
  • चालक परमेश्वर सिंह 31 जून को सेवानिवृत्त हुए
  • एडीएम की इस विदाई से गांव वाले भावुक हुए

मिर्जापुर: एडीएम की गाड़ी में उनकी सीट पर बैठा हुआ कोई और नहीं बल्कि उनका ड्राइवर है. वहीं, ड्राइवर की सीट पर बैठकर स्वयं एडीएम गाड़ी चला रहे हैं. आप कहीं काम कर रहे हो तो चाहते है कि विदाई ऐसी हो कि यादगार बने. ऐसी ही एक विदाई मिर्जापुर में हुई, जहां एडीएम ड्राइवर बन गए. न सिर्फ ड्राइवर बने, बल्कि खुद गाड़ी से ले जाकर घर तक छोड़ा. यह देखकर सब लोग एडीएम की तारीफ कर रहे हैं. विदाई के बाद एडीएम के ड्राइवर ने कहा कि हमने ऐसी विदाई का कभी नहीं सोचा था. अधिकारी हो तो ऐसा ही हो.

मिर्जापुर में वाहन चालक परमेश्वर 31 जून को रिटायर हुए. परमेश्वर अपर जिलाधिकारी वित्त व राजस्व की गाड़ी चलाते थे. रिटायर होने के बाद विदाई समारोह का आयोजन किया गया. एडीएम वित्त अजय कुमार सिंह और एडीएम भू० राजस्व सत्य प्रकाश सिंह ने अंगवस्त्रम देकर और तस्वीर देकर सम्मानित किया. विदाई के बाद उस वक्त सबके चेहरे पर मुस्कान आ गई, जब एडीएम ने कहा कि हम गाड़ी चलाकर आपको घर तक छोड़ेंगे. फिर एडीएम सत्य प्रकाश चालक बन गए. बगल की सीट पर अधिकारियों की तरह ठाठ से बैठे परमेश्वर को घर तक छोड़कर वापस आए.

1987 से कर रहे है सेवा

चालक परमेश्वर सिंह ने लोकल 18 बताया कि 1987 से अबतक हमने अधिकारियों की सेवा की. पहले सांसद फूलन देवी, रामसकल, उमाकांत व वीरेंद्र सिंह आदि सांसदों की गाड़ी चलाई. फिर वहां से चुनार चले गए. चुनार से वापस मिर्जापुर आए तो एडीएम की गाड़ी चलाई. अपने कार्यकाल में मेहनत और कर्मठता से काम किया. सेवानिवृत्त होने के बाद ऐसी विदाई हुई जो यादगार बन गया. एडीएम वित्त अजय सिंह ने विदाई दी. वहीं, सीआरओ सत्य प्रकाश सिंह ने हमें अपने वाहन से घर तक छोड़ा.

ऐसी विदाई की नहीं थी उम्मीद

परमेश्वर ने कहा कि हमें ऐसी विदाई की उम्मीद नहीं थी. कभी नहीं सोचा था कि हमें ऐसी विदाई मिलेगी. सीआरओ की जितनी तारीफ की जाए कम है. उन्होंने जो किया वो हम कभी नहीं भूल सकते हैं. खुद वाहन चलाकर घर तक छोड़े. ऐसे अधिकारी जहां भी रहेंगे. वहां सबकुछ अच्छा ही होगा.

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एडीएम बन गए ड्राइवर! खुद गाड़ी चलाकर अपने वाहन चालक को दी विदाई

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