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इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एएलटी समाचार पत्रकार मोहम्मद जुबैर के खिलाफ एफआईआर को खारिज करने से इनकार कर दिया

आखरी अपडेट:

Allahabad High Court News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ऑल्ट न्यूज के सह संस्थापक मोहम्मद जुबैर के खिलाफ गाजियाबाद पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर रद्द करने से इनकार किया. हालांकि, जांच के दौरान जुबैर को गिरफ्तार नहीं किया जा…और पढ़ें

मोहम्मद जुबैर के खिलाफ FIR रद्द नहीं होगी, इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला

ऑल्ट न्यूज़ के पत्रकार मोहम्मद जुबैर. (फाइल फोटो)

हाइलाइट्स

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जुबैर की एफआईआर रद्द करने से इनकार किया.
  • जांच के दौरान जुबैर को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा.
  • जुबैर पर धार्मिक वैमनस्यता बढ़ाने के आरोप.

इलाहाबाद. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बृहस्पतिवार को पारित एक निर्णय में ‘ऑल्ट न्यूज’ के सह संस्थापक मोहम्मद जुबैर के खिलाफ गाजियाबाद पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी (एफआईआर) को रद्द करने से इनकार कर दिया. विवादास्पद धर्मगुरु यति नरसिंहानंद की एक सहयोगी की शिकायत पर दर्ज इस प्राथमिकी में जुबैर के खिलाफ धार्मिक समूहों के बीच वैमनस्यता बढ़ाने सहित अन्य आरोप लगाए गए हैं.

जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस डॉ वाई.के. श्रीवास्तव की पीठ ने हालांकि कहा कि मामले की विवेचना के दौरान याचिकाकर्ता को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा. अदालत ने निर्देश दिया कि प्राथमिकी के अनुपालन में यह जांच जारी रहेगी.

यति नरसिंहानंद सरस्वती ट्रस्ट की महासचिव उदिता त्यागी द्वारा की गई शिकायत में आरोप लगाया गया है कि जुबैर ने मुस्लिम समुदाय को हिंसा के लिए भड़काने की नीयत से तीन अक्टूबर 2024 को यति नरसिंहानंद के एक पुराने कार्यक्रम की वीडियो क्लिप पोस्ट की.

गाजियाबाद में दर्ज प्राथमिकी में यह आरोप भी लगाया गया है कि जुबैर ने नरसिंहानंद की संपादित क्लिप ‘एक्स’ पर पोस्ट की जिसमें पैगंबर मोहम्मद को लेकर उनकी कथित तौर पर भड़काऊ टिप्पणियां शामिल थीं. इस पोस्ट का मकसद नरसिंहानंद के खिलाफ भावनाएं भड़काना था. इस पोस्ट में जुबैर ने नरसिंहानंद के कथित भाषण को ‘अपमानजनक’ बताया था.

मोहम्मद जुबैर के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 196 (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्यता बढ़ाना), 299 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य), 356(3) (मानहानि) और 351 (2) (आपराधिक धमकी के लिए सजा) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी. जुबैर ने अपनी रिट याचिका में अदालत से प्राथमिकी रद्द करने और दंडात्मक कार्रवाई से सुरक्षा की मांग की थी.

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Rakesh Ranjan Kumar

राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h…और पढ़ें

राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h… और पढ़ें

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