ऑर्गेनिक खेती के जुनून ने दिलाई पहचान, मुरादाबाद के इस किसान को राज्यपाल भी कर चुकी हैं सम्मानित!

आखरी अपडेट:
Moradabad News: मुरादाबाद के किसान सुरेंद्र कुमार त्यागी ऑर्गेनिक खेती में मिसाल बन चुके हैं. वे मिलेट्स और पारंपरिक हल्दी की खेती करते हैं. राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने उन्हें सम्मानित किया है.

आर्गेनिक हल्दी
हाइलाइट्स
- सुरेंद्र त्यागी ऑर्गेनिक खेती में मिसाल बने.
- राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने किया सम्मानित.
- मिलेट्स और पारंपरिक हल्दी की खेती करते हैं.
पीयूष शर्मा/ मुरादाबाद: उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के किसान सुरेंद्र कुमार त्यागी आज पूरे प्रदेश में ऑर्गेनिक खेती की एक मिसाल बन चुके हैं. सुरेंद्र त्यागी न केवल जैविक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं, बल्कि मिलेट्स जैसे पोषण से भरपूर अनाज और पारंपरिक हल्दी की पुरानी वैरायटी का उत्पादन कर रहे हैं. ऑर्गेनिक खेती में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें हाल ही में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है.
मिलेट्स को दे रहे बढ़ावा
किसान सुरेंद्र त्यागी का मानना है कि मिलेट्स, जिन्हें मोटा अनाज भी कहा जाता है, हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद हैं. सुरेंद्र त्यागी मिलेट्स की खेती पूरी तरह जैविक तरीके से करते हैं और रासायनिक खाद या कीटनाशकों का कोई इस्तेमाल नहीं करते.
सुगंधा हल्दी बन गई पहचान
सुरेंद्र त्यागी की खासियत उनकी हल्दी की खेती है. वे ‘सुगंधा’ नाम की पारंपरिक हल्दी वैरायटी का उत्पादन करते हैं, जो अपनी तेज़ खुशबू और औषधीय गुणों के लिए जानी जाती है. वे वर्मी कंपोस्ट जैसी जैविक खादों का प्रयोग कर खेती करते हैं जिससे उत्पाद और भी शुद्ध और पोषक होते हैं.
राज्यपाल से हो चुके हैं सम्मानित
7 से 9 फरवरी 2025 तक लखनऊ के राजभवन में आयोजित राज्य स्तरीय कृषि प्रदर्शनी में उन्होंने अपनी ऑर्गेनिक हल्दी को प्रस्तुत किया. पूरे प्रदेश से किसान अपने उत्पाद लेकर इस प्रदर्शनी में शामिल हुए थे, लेकिन सुरेंद्र त्यागी की हल्दी को सबसे अधिक सराहा गया. जजिंग पैनल ने उनके प्रोडक्ट को पहले स्थान पर चुना. इसके बाद 7 फरवरी को खुद राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने सुरेंद्र कुमार त्यागी को सम्मानित किया. सुरेंद्र त्यागी का कहना है कि ऑर्गेनिक खेती से न सिर्फ किसानों की आमदनी बढ़ सकती है, बल्कि लोगों को सेहतमंद विकल्प भी मिलते हैं वह आज भी नए किसानों को जैविक खेती के गुर सिखा रहे हैं और लगातार मिलेट्स तथा पारंपरिक फसलों के प्रचार-प्रसार में जुटे हुए हैं.