Barabanki boy Ramkeval breaks 77 year old record becomes first high school graduate in village:बाराबंकी के रामकेवल ने मजदूरी करते हुए हाई स्कूल पास कर रचा इतिहास.

आखरी अपडेट:
Barabanki News: रामकेवल ने बाराबंकी के निजामपुर गांव में आजादी के बाद पहली बार हाई स्कूल पास किया. रात में मजदूरी और दिन में पढ़ाई कर उन्होंने यह सफलता हासिल की. डीएम शशांक त्रिपाठी ने उन्हें सम्मानित किया. राम…और पढ़ें

Success Story: डीएम ने मिलने बुलाया तो राम सेवक ने पहली बार जूता पहना.
हाइलाइट्स
- रामकेवल ने बाराबंकी के निजामपुर गांव में हाई स्कूल पास किया.
- रामकेवल ने मजदूरी करते हुए पढ़ाई की और गांव में शिक्षा की अलख जगाई.
- डीएम शशांक त्रिपाठी ने रामकेवल को सम्मानित किया.
बाराबंकी. शिक्षा कितनी जरूरी है, यह हम सभी जानते हैं, मगर शिक्षा क्यों जरूरी है, यह सिर्फ रामकेवल जैसे मेहनतकश युवा ही जानते हैं. एक ऐसा युवा जिसने शादी बारात में रात-रात भर लाइट्स सिर पर ढोई और अगली सुबह अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए स्कूल पहुंचा. रामकेवल शादियों में शामिल तो हुए, मगर एक मजदूर की तरह. लेकिन अपनी मां के प्रण को पूरा करने के लिए जी-जान से पढ़ाई की और हाई स्कूल पास किया. आप भी सोच रहे होंगे कि लाखों छात्रों ने हाई स्कूल परीक्षा पास की, तो रामकेवल ने ऐसा क्या कमाल कर दिया? तो आगे की कहानी आपको हैरान कर देगी, क्योंकि रामकेवल आजादी के बाद अपने गांव से हाई स्कूल पास करने वाले पहले छात्र बने हैं.
जब मीडिया रामकेवल के घर पहुंची, तो उसकी आंखों में आंसू थे. उसकी मां ने पल्लू से उसके आंसू पोछे. मां और बेटे दोनों समझ नहीं पा रहे थे कि ये आंसू खुशी के हैं या उस व्यवस्था के जिसके वे शिकार हुए. चलिए अब आपको यह पूरा मामला समझाते हैं. कहते हैं, “हौसले बुलंद हों और कुछ कर गुजरने की चाह हो, तो कामयाबी कदम चूमने को मजबूर होती है.” ऐसा ही बाराबंकी जिले के निजामपुर मजरे अहमदपुर गांव के निवासी रामकेवल ने साबित कर दिखाया. दरअसल, इस गांव में आजादी के 77 साल बाद तक कोई व्यक्ति हाई स्कूल पास नहीं कर पाया था. 2025 में रामकेवल ने इस रिकॉर्ड को तोड़ते हुए हाई स्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की. इसके बाद डीएम शशांक त्रिपाठी ने युवक को सम्मानित करते हुए कहा, “रामकेवल ने न सिर्फ परीक्षा पास की है, बल्कि गांव में शिक्षा की भावनाओं को बल दिया है.”
मजदूरी के साथ-साथ पढ़ाई
“शिक्षा शेरनी का वह दूध है, जो इसे पिएगा, दहाड़ेगा,” बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की यह लाइन चरितार्थ होती है. यूपी की राजधानी लखनऊ से सटे बाराबंकी जिले के एक युवक रामकेवल ने ₹300 प्रतिदिन की मजदूरी करते हुए शिक्षा को महत्व दिया और मजदूरी के साथ-साथ समय निकालकर पढ़ाई भी की. इसका नतीजा यह हुआ कि आजादी के बाद गांव में पहली बार कोई युवक हाई स्कूल की परीक्षा पास कर सका. इसको लेकर गांव में खुशी का माहौल है.
गांव के लोगों में पढ़ने की नहीं है ललक
प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक शैलेंद्र द्विवेदी ने बताया कि अंग्रेजी शासन काल से निजामपुर में यह विद्यालय है. सन 1923 में स्थापना और 1926 से विद्यालय संचालित हुआ था. यहां कांग्रेस के नेता मोहसिन किदवई ने भी परीक्षा पास की थी, जिसका शिलान्यास 2013 में किया गया था. गांव के चारों तरफ स्कूल होने के बावजूद निजामपुर के लोगों में पढ़ने की ललक नहीं थी. यहां अधिकांश लोग मजदूरी कर अपना और अपने परिवार का पेट पालते हैं. रामकेवल के पिता जगदीश प्रसाद निरक्षर हैं, लेकिन उन्होंने अपने बेटे को पढ़ाने की ठान ली. रामकेवल की मां प्राथमिक विद्यालय में रसोईया हैं, जिन्होंने अपने बेटे को कक्षा 8 पास करने के बाद जीआईसी अहमदपुर में दाखिला कराया. किसी तरह से रुपए इकट्ठा कर फीस जमा की. पुष्पा ने हार नहीं मानी और स्कूल रसोइया का कार्य करने पर मिलने वाले पैसे से अपने बेटे की फीस दी. पुष्पा ने बताया कि बचपन में अपने भाई को डिबरी की रोशनी में पढ़ते देखती थी.
स्कूल में बच्चे भी चिढ़ाते थे- तुम भी पास नहीं हो पाओगे
वहीं छात्र रामकेवल ने रोते हुए बताया कि जब वह स्कूल जाता था, तो बच्चे यह कहकर चिढ़ाते थे कि “तुम्हारे गांव में कोई आज तक हाई स्कूल पास नहीं हुआ है, तुम भी पास नहीं हो पाओगे.” इसके बाद उसने मन में ठान लिया था कि हाई स्कूल पास कर अपना और अपने गांव का मान बढ़ाना है. उसने रोड लाइट में रात की मजदूरी करते हुए भी पढ़ाई पर ध्यान दिया और इतिहास बदल दिया. अब कोई यह नहीं कह सकेगा कि इस गांव में हाई स्कूल पास कोई व्यक्ति नहीं है.