किसने बनाया QR कोड? जो UPI पेमेंट से लेकर, Aadhar वेरिफिकेशन तक के लिए है जरूरी – Who created the QR code used for UPI payment to Aadhaar verification in hindi – Hindi news, tech news

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QR कोड की मदद से हमारे कई काम आसान हो गए हैं. इस QR यानी क्विक रिस्पॉन्स कोड के जरिए आप यूपीआई पेमेंट से लेकर आधार कार्ड वेरिफिकेशन तक सब कुछ कर सकते हैं. आइए, जानते हैं इसे किसने बनाया?

QR कोड किसने बनाया
हाइलाइट्स
- QR कोड का आविष्कार 1994 में मसाहिरो हारा ने किया था.
- QR कोड का उपयोग UPI पेमेंट और आधार वेरिफिकेशन में होता है.
- QR कोड की खासियत है कि हर बार यूनिक होता है.
नई दिल्ली. आज के डिजिटल युग में हम कई काम ऑनलाइन करते हैं. कॉन्टैक्ट शेयर करने से लेकर डिजिटल भुगतान और दस्तावेज वेरिफिकेशन तक, सब कुछ डिजिटल रूप से हो रहा है. इन सभी कामों को आसान बनाने में QR कोड ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. UPI भुगतान करते समय, आपको बस QR कोड स्कैन करना होता है और आप आसानी से भुगतान कर सकते हैं.
QR कोड की खासियत यह है कि यह हर बार जनरेट होने पर यूनिक होता है, यानी हर QR कोड एक-दूसरे से अलग होता है. क्या आप जानते हैं कि QR कोड का आविष्कार लगभग 31 साल पहले हुआ था? हां, आज हम जो QR कोड तकनीक UPI भुगतान से लेकर आधार सत्यापन तक हर चीज के लिए उपयोग करते हैं, उसका आविष्कार 31 साल पहले हुआ था.
QR कोड किसने बनाया?
QR या क्विक रिस्पांस कोड का आविष्कार 1994 में जापानी इंजीनियर मसाहिरो हारा ने किया था. मसाहिरो ने जापान की होसेई यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया है. यह कोड डेंसो वेब द्वारा विकसित किया गया था, जो टोयोटा मोटर कॉर्पोरेशन की एक सहायक कंपनी है. मसाहिरो हारा को QR कोड का आइडिया गो गेम खेलते समय आया. अगर आपने कभी गो गेम नहीं खेला है, तो बता दें कि इसमें एक गो बोर्ड होता है, जिसमें 19×19 का ग्रिड होता है. इस ग्रिड में काले और सफेद पत्थर होते हैं.
ग्रिड में छिपी होती है ढेर सारी जानकारी
जब मसाहिरो हारा ने इस गेम बोर्ड को देखा, तो उन्होंने सोचा कि एक ग्रिड में बहुत सारी जानकारी स्टोर की जा सकती है और इसे कई एंगल्स, दूरियों आदि से पढ़ा जा सकता है. इसके बाद, मसाहिरो ने डेंसो वेब टीम के साथ मिलकर इस ग्रिड सिस्टम को QR कोड में बदलने का काम किया. इस QR कोड में लोकेटर, आइडेंटिफायर और वेब ट्रैकिंग के लिए डेटा होता है. इसे सबसे पहले ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में पार्ट्स को लेबल करने के लिए इस्तेमाल किया गया था. बाद में इसका उपयोग इलेक्ट्रॉनिक टिकट, कॉन्टैक्ट शेयर करने, पेमेंट सहित कई चीजों के लिए होने लगा.