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365 दिन, 24 घंटे और… जहां कभी था कूड़े का पहाड़, वहां अब हरियाली, शिवरी प्लांट से चमका लखनऊ

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के लिए बहुत बड़ा दिन है. स्वच्छ सर्वेक्षण-2024 में लखनऊ को देशभर में तीसरा स्थान मिला है. 44वें नंबर से सीधा तीसरे नंबर पर आने के पीछे सबसे बड़ा योगदान है शिवरी कूड़ा निस्तारण प्लांट का. इस प्लांट की वजह से आज लखनऊ में हरियाली और स्वच्छता की कहानी लिखी जा रही है. यह प्लांट अब लखनऊ की स्वच्छता का पर्याय बन चुका है. दरअसल, यहां रोजाना पहुंचने वाले कूड़े को उसी दिन निस्तारित कर दिया जाता है. इसकी वजह से कूड़े का पहाड़ जमा नहीं होता.

13 लाख मीट्रिक टन कूड़ा बना जैविक खाद
शिवरी में 2023 तक लगभग 20 लाख मीट्रिक टन कचरे का पहाड़ जमा था. मगर, पिछले एक साल में प्लांट की 5 सक्रिय यूनिटों ने 13 लाख मीट्रिक टन कूड़े को प्रोसेस कर जैविक खाद में बदल दिया है. इस प्रक्रिया में लगभग 350 कर्मचारी और 250 गाड़ियां 24 घंटे जुटी रहती हैं.

रोजाना 6,100 मीट्रिक टन कचरे का निस्तारण

शिवरी प्लांट रोजाना करीब 6,100 मीट्रिक टन कचरे का निस्तारण करता है, जबकि शहर से निकलने वाला कचरा लगभग 2,000 मीट्रिक टन है. तीन यूनिटें मिलकर इस कचरे को उसी दिन प्रोसेस कर लेती हैं. पूरे कार्य पर 47 सीसीटीवी कैमरों से 24 घंटे निगरानी की जाती है.

30 दिन में तैयार होती है जैविक खाद

प्लांट में कार्यरत कर्मचारी अमित मिश्रा के अनुसार, कूड़ा यूनिट में प्रोसेस होकर खाद में बदलता है. इसके बाद उसे 30 से 35 दिन तक सुखाया जाता है, फिर यहीं बोरियों में पैक किया जाता है. खाद बनाने की प्रक्रिया में कन्वेयर बेल्ट और ट्रामल के जरिए स्क्रीनिंग की जाती है.

बंजर जमीन पर उग रही हरियाली
जहां कभी कूड़े का अंबार था, अब वहां जमीन खाली हो रही है. प्लांट के कर्मचारियों ने उसी जगह कचरे से बनी खाद और मिट्टी के मिश्रण से बंजर जमीन को उपजाऊ बना दिया है. खाली हुई जमीन पर पार्क और हरियाली विकसित की जा रही है, जिससे शहर की सुंदरता भी बढ़ रही है.

लिगेसी और फ्रेश वेस्ट दोनों से मिल रही उपयोगी चीजें

यहां पुराने (लिगेसी) कचरे से मिट्टी, आरडीएफ (Refused Derived Fuel) और C&D वेस्ट अलग किया जाता है. वहीं ताजा कचरे से खाद और आरडीएफ तैयार किया जाता है. अपर नगर आयुक्त डॉ. अरविंद कुमार राव के अनुसार, खाद में 25 फीसदी शुद्ध जैविक खाद होती है.

लखनऊ बना स्वच्छता का मॉडल शहर
मेयर सुषमा खर्कवाल ने बताया कि पिछले दो वर्षों से चल रही स्वच्छता मुहिम का ही नतीजा है कि लखनऊ को यह सम्मान मिला है. लगातार प्रयासों और तकनीकी संसाधनों की बदौलत लखनऊ देश के सबसे स्वच्छ शहरों में शामिल हो गया है.

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