National

सात नदियों का संगम अब इतिहास! कन्नौज की काली नदी पर मंडरा रहा अस्तित्व का संकट

कन्नौज- कन्नौज, जो इत्र और इतिहास के लिए प्रसिद्ध है, आज एक और पहचान को खोने की कगार पर है. यह पहचान है कन्नौज की जीवनदायिनी काली नदी की. एक समय था जब यह नदी न सिर्फ क्षेत्र के लोगों की प्यास बुझाती थी, बल्कि खेती की रीढ़ भी थी. मगर आज इस नदी का अस्तित्व गंदे नालों और शहरी कचरे की भेंट चढ़ गया है.

गंगा से मिलता है संगम

कन्नौज के जलालपुर अमरा गांव के पास, जहां काली नदी गंगा में मिलती है, वहां का दृश्य बेहद चिंताजनक है. साफ तौर पर देखा जा सकता है कि गंदे नालों का मटमैला पानी काली नदी में मिल रहा है और वहीं से यह गंदगी गंगा नदी में भी प्रवेश कर रही है. यह न सिर्फ पर्यावरण के लिए खतरा है, बल्कि गंगा की निर्मलता पर भी सवाल उठाता है.

स्वच्छता प्लांट बने हैं शोपीस
सरकार द्वारा बनाए गए वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट यहां लगे तो हैं, मगर वो सिर्फ दिखावे की वस्तु बन चुके हैं. प्लांट काम नहीं कर रहे और नतीजा यह है कि गंदा पानी बिना किसी रोक-टोक के काली नदी में बहता चला जा रहा है.

जलीय जीवन पर मंडरा रहा है संकट

नदी में मिल रहे प्रदूषित पानी का सीधा असर नदी के जलीय जीवन पर पड़ रहा है. मछलियों और अन्य जीवों की संख्या में कमी आ रही है और पारिस्थितिकी तंत्र बिगड़ता जा रहा है.

कभी हुआ करता था सात नदियों का संगम
इतिहास गवाह है कि कन्नौज में एक समय गंगा, रामगंगा, ईशन, काली, पांडु, अरविंद और चित्रा समेत कुल सात नदियों का संगम होता था. मगर आज की तारीख में केवल गंगा और काली नदी ही अस्तित्व में बची हैं, वो भी खतरे में है.

स्थानीय लोगों की गुहार, बचाओ हमारी नदी
स्थानीय निवासी वर्षों से इस प्रदूषण को देख रहे हैं. वे बताते हैं कि यह सिलसिला लगातार जारी है, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. उनका कहना है कि अगर जल्द ही काली नदी को बचाने की दिशा में प्रयास नहीं हुए, तो गंगा भी धीरे-धीरे इसी राह पर जा सकती है.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button