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‘वर्चुअल अरेस्ट’ में फंसे रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी, ₹1.2 करोड़ की हुई साइबर ठगी, पुलिस ने शुरू की जांच

आखरी अपडेट:

एक रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी ₹1.2 करोड़ की ‘वर्चुअल अरेस्ट’ साइबर ठगी का शिकार हो गए हैं. पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है.

'वर्चुअल अरेस्ट' में फंसे रिटायर्ड सरकारी कर्मी, ₹1.2 करोड़ की हुई साइबर ठगी
नई दि‍ल्‍ली. एर्नाकुलम जिले के वेंगोल से एक सेवानिवृत्त केंद्रीय सरकारी कर्मचारी के साथ ₹1.2 करोड़ की ‘वर्चुअल अरेस्ट’ साइबर धोखाधड़ी का मामला सामने आया है. इस मामले की जांच शुरू कर दी गई है. ‘वर्चुअल अरेस्ट’ घोटाले में साइबर अपराधी पुलिस अधिकारी बनकर ऑनलाइन पीड़ितों से संपर्क करते हैं और उन्हें बताते हैं कि उनके खिलाफ अपराध दर्ज है.

इसके बाद वे पीड़ित को धमकी देते हैं कि अगर उन्होंने उनकी मांगों का पालन नहीं किया तो उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाएगा. पुलिस के अनुसार, यह ताजा मामला 22 अगस्त को एर्नाकुलम ग्रामीण साइबर पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था. 74 साल के पीड़ित को 15 अगस्त को एक वॉट्सएप कॉल आई. कॉल करने वाले ने खुद को प्रवीण बताया और कहा कि वह ग्रेटर मुंबई पुलिस का अधिकारी है.

फिर ठग ने पीड़ित को धमकी दी कि अगर वह अपनी बेगुनाही साबित नहीं कर सका तो उसे ‘वर्चुअल गिरफ्तारी’ में रखा जाएगा. पुलिस ने जो जानकारी दी है, उसके अनुसार पीड़ित को बताया गया कि जांच के हिस्से के रूप में उसके बैंक खातों को सत्यापित करने की आवश्यकता है और सत्यापन पूरा होने के बाद उसका पैसा वापस कर दिया जाएगा. निर्देशों का पालन करते हुए, उसने 18 अगस्त को मुंबई के दो बैंक खातों में तीन लेन-देन में ₹40 लाख प्रत्येक स्थानांतरित किए.

हालांकि, जब वादा किया गया पैसा वापस नहीं मिला, तो उसने पुलिस से संपर्क किया, जिन्होंने मामला दर्ज किया और जिन खातों में पैसा स्थानांतरित किया गया था, उनमें से लगभग ₹35 लाख को फ्रीज कर दिया, अधिकारी ने कहा. हालांकि, बाकी पैसा पहले ही निकाला जा चुका था.

अधिकारी ने बताया कि खाते फर्जी कंपनियों के नाम पर थे और शेष राशि की वसूली और धोखाधड़ी करने वालों की पहचान के प्रयास जारी हैं. केरल में साइबर धोखाधड़ी एक गंभीर समस्या बन गई है.  केरल पुलिस के रिकॉर्ड के अनुसार, 2024 में साइबर अपराधियों ने राज्य से 763 करोड़ रुपये की ठगी की. पुलिस ने जनता से अपील की है कि वे ऐसे साइबर धोखाधड़ी के मामलों की तुरंत रिपोर्ट साइबर क्राइम हेल्पलाइन (1930) पर करें और ऐसे घोटालों को रोकने के लिए जागरूकता अभियान चला रही है.

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