रिया के अंगदान से अनमता को मिला नया जीवन: भावुक रक्षाबंधन का जश्न.

तीन साल पहले अनमता को लग गया था करंट
अनमता, जिनका दाहिना हाथ तीन साल पहले अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश) में अपने रिश्तेदार के घर की छत पर लटके एक हाई-टेंशन तार से झुलसने के बाद काटना पड़ा था, उनको तब रिया का हाथ मिला जब वलसाड के रहने वाले परिवार ने अपनी बेटी के अंग दान करने का फैसला किया. उनके दाहिने हाथ के अलावा, रिया के गुर्दे, लीवर, फेफड़े, कॉर्निया और बायाँ हाथ भी दान कर दिए गए, जिससे आठ लोगों की जिंदगी बदल गई.
शुक्रवार को, वलसाड के मनोरम तिथल बीच रोड पर, दो परिवारों ने एक अनोखा रक्षाबंधन का जश्न मनाया. अनामता का इलाज करने वाले डॉक्टरों के अनुसार, “कंधे के स्तर पर हाथ ट्रांसप्लांट पाने वाली दुनिया की सबसे कम उम्र की रिसीवर है.” रिया को पिछले सितंबर में ब्रेन-डेड घोषित किए जाने के बाद, अनमता की एक कठिन सर्जरी हुई थी. मिस्त्री परिवार में भावनाएँ उमड़ पड़ीं जब उन्होंने अनमता को गले लगाया और उनके चेहरे पर आँसू बह निकले.
रिया की मां हो गई इमोशनल
रिया की माँ तृष्णा ने दुःख से भारी स्वर में कहा, “जब मैं अनमता से मिली और उसका हाथ थामा, तो ऐसा लगा जैसे मेरी रिया वापस जिंदा हो गई हो. मेरे मन में जो दर्द था, वह अचानक इस लड़की के लिए गहरे स्नेह में बदल गया, जिसने मेरे बेटे की कलाई पर राखी बांधने के लिए लंबी दूरी तय की. अनमता अब मेरी भी बेटी है और रिया हमेशा उसके भीतर जीवित रहेगी. हम अभी भी अपने नुकसान से उबर रहे हैं, लेकिन यह देखकर अच्छा लगा कि अनमता खुश है और एक अच्छा जीवन जी रही है.”
‘मैं रिया से कभी मिली नहीं’
शिवम ने कहा, “उसके (अनमता के) हाथ रिया जैसे ही थे, यहां तक कि बनावट भी. मुझे अचानक लगा कि मैंने रिया को देख लिया. इस बार अनमता मुंबई से मुझसे मिलने आई थी, मैं अगले साल उससे मिलने जाऊंगा. यह परंपरा जीवन भर चलती रहेगी.” अनमता ने कहा, ‘मैं रिया से कभी नहीं मिली, लेकिन उसने मेरे जीवन को संपूर्ण बना दिया। मैं उससे बहुत जुड़ाव महसूस करती हूं.’