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यूपी में है दुनिया की इकलौती ऐसी जगह, जहां होता है 5 नदियों का अनूठा संगम, बीच में है मंदिर

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UP News : भारत में तीन नदियों का संगम त्रिवेणी प्रयागराज में होता है. यहां पर गंगा-यमुना और सरस्वती नदियां मिलती हैं. यूपी में एक ऐसा अनोखा स्थान पर है जहां पर पांच नदियों का मिलन होता है. विश्व में किसी भी स्थ…और पढ़ें

यूपी में है दुनिया की इकलौती ऐसी जगह, जहां होता है 5 नदियों का अनूठा संगमयूपी में एक ऐसा अनोखा स्थान पर है जहां पर पांच नदियों का मिलन होता है.
इटावा. भारत में नदियों की पूजा की जाती है. मानव सभ्यताओं का विकास भी नदियों के किनारे ही हुआ. प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती नदी के संगम का अपना अलग ही महत्व है. देश में बहुत-सी जगहें ऐसी हैं जहां दो या उससे अधिक नदियां मिलती हैं. आज हम आपको दुनिया की ऐसी इकलौती जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जहां एक-दो या तीन नहीं बल्कि पांच नदियों का मिलन होता है. यह स्थान यूपी के इटावा-जालौन जिले में है. कार्तिक पूर्णिमा को यहां पर बहुत बड़ा मेला लगता है. पांच नदियों के संगम वाले इस क्षेत्र को ‘पंचनदा’ का नाम दिया गया है. यहां पर महाकालेश्वर मंदिर भी है. यह मंदिर संगम में ही स्थित है.

इटावा के पंचनदा में पांच नदियों – यमुना, चंबल, कुंआरी, सिंधु और पहुज का संगम होता है. यह अनोखा स्थान इटावा जिला मुख्यालय से लगभग 70 किलोमीटर दूर बिठौली गांव में स्थित है. जालौन के मुख्यालय उरई से पंचनद की दूरी 65 किलोमीटर है. रामपुरा ब्लॉक से इसकी दूरी मात्र 15 किलोमीटर है. कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यूपी, एमपी और राजस्थान से लाखों श्रद्धालु यहां पर सनान करने के लिए आते हैं और इस संगम में स्नान कर पुण्य कमाते हैं.

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गंगा-यमुना के क्षेत्र के बीच में पांच नदियों का संगम निश्चित रूप से अनोखा है. यहां से जल प्रवाह भी बढ़ जाता है. यहीं से यमुना में पुनर्जीवित हो जाती है. दिल्ली-आगरा-मथुरा में लगभग मृतप्राय हो चुकी यमुना को ये नदियां नया जीवन देती हैं. यमुना अपने पूरे आवेग से प्रयागराज के अरेल घाट में गंगा से मिलती है. चंबल, कुंआरी, सिंधु और पहुज मध्य प्रदेश से आई हैं. यह स्थान किसी स्वर्ग से कम नहीं है. डॉल्फिन सेंक्चुरी भी यहीं पर है.

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पंचनदा में बनाया जाना है बैराज

पंचनदा में चंबल और यमुना नदी का संगम एक ओर होता है. दूसरी सिंधु, कुंआरी और पहुज नदियां बहकर आती हैं. यानी उत्तर दिशा में शेरगढ़ कचहरी पर पहले चंबल और यमुना नदी का संगम होता है. दक्षिण दिशा में सिंध, कुंआरी और पहुंच नदियां आकर मिलती हैं. सिंचाई और बिजली उत्पादन के लिए पंचनदा में 22 हजार करोड़ की लागत से बैराज भी बनाया जाना है. बैराज के बन जाने से जालौन, इटावा, औरैया और कानपुर देहात के लाखों किसानों को इसका फायदा मिलेगा. बांध से छोटी-छोटी कई नहरें निकाली जाएंगी. पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा.

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पंचनदा में संगम पर है महाकालेश्वर मंदिर

पंचनदा में स्थित प्राचीन महाकालेश्वर मंदिर लगभग 800 ईसा पूर्व का बताया जाता है. संगम के पास बाबा साहब का मंदिर है. वह गोस्वामी तुलसीदास के समकालीन थे. तुलसीदास स्वयं यहां पर आए थे. मंदिर के बारे में मान्यता है कि 40-50 किलोमीटर के दायरे में कभी ओलावृष्टि नहीं होती. जंगलों के बीच घिरा होने के कारण यह क्षेत्र बहुत ही दुर्गम है. बीहड़ क्षेत्र होने के कारण यह स्थान डाकुओं की शरणस्थली रहा है.

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चटुरस तिवारी

एक निपुण डिजिटल कंटेंट क्रिएटर और प्लानर। ऑनलाइन और सोशल मीडिया के लिए बढ़ी हुई समाचार सामग्री बनाना। पत्रकारिता के क्षेत्र में 10 से अधिक वर्षों का अनुभव होना। एम से पत्रकारिता के मास्टर …और पढ़ें

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