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यादगार बन गई ये शादी, दूल्हा-दुल्हन ने किया देहदान, बोले – मरने के बाद भी आएंगे समाज के काम!

आखरी अपडेट:

Etawah Wedding: इटावा में एक दूल्हा-दुल्हन ने शादी को अनोखे तरीके से यादगार बना दिया. उन्होंने देहदान करने का फैसला लिया और जयमाल के समय उन्हें सर्टिफिकेट सौंपा गया.

एक्स

इटावा

इटावा में एमबीए दुल्हा ने दुल्हन के साथ शादी से पहले किया देहदान

हाइलाइट्स

  • इटावा में दूल्हा-दुल्हन ने शादी के दिन देहदान किया.
  • सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी ने जयमाला के समय सर्टिफिकेट दिया.
  • अतुल और लवी ने समाज के लिए अनोखी मिसाल पेश की.

इटावा: उत्तर प्रदेश के इटावा में शादी में जयमाला से पहले दंपती ने देहदान किया. सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी के डॉक्टरों ने उन्हें देहदान का सर्टिफिकेट दिया. अपनी शादी को खास बनाने के लिए उन्होंने यह फैसला लिया. देहदान करने वाला दूल्हा एमबीए है और दुल्हन बीएससी कर चुकी हैं. देश में अपनी शादी से पहले देहदान करने वाले अतुल और लवी पहले दूल्हा-दुल्हन माने जा रहे हैं.

हर तरफ हो रही चर्चा
आजकल जहां एक तरफ लोग अपनी शादी को रोचक बनाने के लिए तरह-तरह के तरीके अपनाते हैं, वहीं उत्तर प्रदेश के इटावा के एक नवदंपती ने अपनी शादी के दिन देहदान कर समाज के लिए एक अनोखी मिसाल पेश की है एमबीए दूल्हा और बीएससी दुल्हन की इस पहल की हर तरफ चर्चा हो रही है. हर कोई नवदंपती के इस फैसले से खुश है.

पत्नी ने दिया साथ
इटावा जिले के भरथना तहसील के खानपुर गांव के रहने वाले रामपाल सिंह के बेटे अतुल यादव की शादी निवाड़ी कला की लवी से तय हुई. 19 अप्रैल को हुई इस शादी में जयमाला के मंच पर दंपती ने अपनी देह सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी को दान कर दी. उनके इस अनोखे काम की हर जगह तारीफ हो रही है. अतुल के इस फैसले में उनकी पत्नी ने भी पूरा साथ दिया और उन्होंने भी अपनी देह दान कर दी.

कहां से मिली प्रेरणा
देहदान करने वाले अतुल बताते हैं कि उन्हें अध्यात्म में रुचि है और वे गीता, पुराण आदि धार्मिक किताबें पढ़ते रहते हैं. इन्हीं से उन्हें प्रेरणा मिली. उन्होंने जाना कि शरीर नाशवान है और आत्मा अमर है. जब मरने के बाद शरीर जल जाना है तो क्यों न इसे किसी ज़रूरतमंद के काम आने दिया जाए, जिससे किसी को जीवन मिल सके. अतुल ने पहले बीसीए और फिर एमबीए और इस समय सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर सर्वर विभाग में टेक्निकल काम संभालते हैं.

मरने के बाद भी सामाजिक सेवा
अतुल बताते हैं कि उन्होंने मेडिकल यूनिवर्सिटी में कई ऐसे मरीज देखे जिनके अंगों ने काम करना बंद कर दिया और समय पर डोनर न मिलने की वजह से उनकी मौत हो गई. वे कई सामाजिक कामों में भी सक्रिय रहते हैं और कहते हैं कि जैसे वे ज़िंदा रहते हुए सामाजिक कामों में हिस्सा लेते हैं, वैसे ही मरने के बाद उनका शरीर भी समाज के काम आएगा. पिता रामपाल यादव ने भी इस फैसले को खुशी-खुशी स्वीकार किया.

जयमाल के समय मिला सर्टिफिकेट
अतुल के पिता कहते हैं कि उन्हें अपने बेटे और बहू पर गर्व है जिन्होंने इतना बड़ा फैसला लिया. अतुल ने बताया कि उन्होंने शादी से कुछ दिन पहले ही लवी से देहदान की इच्छा बताई थी. लवी ने कहा कि वह हर फैसले में उनके साथ हैं और खुद भी देहदान करेंगी. इसके बाद अतुल ने अपने सास-ससुर और बाकी परिवार वालों को भी इस फैसले के लिए तैयार कर लिया. सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति और विभागाध्यक्ष ने भी सराहना की. शादी के दिन ही विभागाध्यक्ष ने जयमाला के मंच पर उन्हें देहदान का सर्टिफिकेट सौंपा.

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