मशीन नहीं, हाथों से तैयार होती है 100 तरह की जड़ी-बूटियां! गोंडा के इस गांव में छुपा है आयुर्वेद का खजाना

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Gonda News: गोंडा का जयप्रभा गांव आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के लिए खास पहचान रखता है. यहां 100 से ज्यादा किस्म की जड़ी-बूटियां हाथों से तैयार की जाती हैं, जिनमें मशीन का इस्तेमाल नहीं होता. नानाजी देशमुख की परिकल…और पढ़ें
कैसे बनती हैं जड़ी-बूटियां
लोकल 18 से बातचीत में जयप्रभा गांव के वैद्य नंदू प्रसाद बताते हैं कि हमारे यहां अधिकतर जड़ी-बूटियां खुद उगाई जाती हैं. जो जड़ी-बूटियां यहां नहीं मिलतीं, उन्हें बाहर से मंगाकर अपने हाथों से तैयार किया जाता है. खास बात यह है कि यहां किसी भी तरह की मशीन का इस्तेमाल नहीं किया जाता. सारी जड़ी-बूटियां मैन्युअल यानी हाथ से बनाई जाती हैं. लंबे समय की मेहनत और कई तरह की प्रोसेस के बाद एक जड़ी-बूटी तैयार होती है.
नंदू प्रसाद बताते हैं कि यहां करीब 100 से ज्यादा तरह की आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां मिलती हैं. जो उपलब्ध नहीं होतीं, उन्हें बाहर से लाकर तैयार किया जाता है. इन जड़ी-बूटियों को तैयार करने का काम जयप्रभा ग्राम स्थित दीनदयाल शोध संस्थान की रसशाला में किया जाता है.
15 गांवों में चल रही “दादी मां बटुआ” योजना
गोंडा जिले में “दादी मां बटुआ” योजना भी चल रही है. इस योजना के तहत 15 गांवों में आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के गार्डन तैयार किए जा रहे हैं. हर गांव में एक कार्यकर्ता होता है जो लोगों को इन पौधों के बारे में बताता है और जड़ी-बूटियों की जानकारी साझा करता है. इस योजना का मकसद लोगों को आयुर्वेद के महत्व से जोड़ना और प्राकृतिक उपचार को बढ़ावा देना है.