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मथुरा में मनरेगा घोटाला! बुजुर्ग, विकलांग और अपात्रों के नाम पर उड़ाए लाखों, फर्जी खातों से की गई लूट!

मथुरा- उत्तर प्रदेश का मथुरा जिला जैसे घोटालों की जमीन बनता जा रहा है. कभी सड़क निर्माण, कभी श्मशान घाट, और अब मनरेगा हर योजना में भ्रष्टाचार की बू आती है. ताजा मामला मथुरा की छाता तहसील के गांव बिजवारी का है, जहां दर्जनों ग्रामीणों ने ग्राम प्रधान और उनके प्रतिनिधि पर मनरेगा में फर्जीवाड़े का आरोप लगाया है.

असहाय लोगों के नाम पर चल रहे जॉब कार्ड
ग्रामीणों का आरोप है कि ग्राम प्रधान ने अपात्र लोगों को पात्र बताकर उनके नाम फर्जी बैंक खाते खुलवाए और उनमें सरकारी पैसे डलवाकर लाखों रुपये का गबन किया. इन खातों में पैसे डालने के बाद अधिकतर रकम निकाल ली जाती है, केवल ₹500 छोड़कर बाकी पैसा प्रधान के पास पहुंचता है.

स्थानीय नागरिक जयप्रकाश ने बताया कि गांव के ऐसे लोगों के नाम पर जॉब कार्ड बनवाए गए हैं, जो ना चल-फिर सकते हैं और ना ही काम करने की स्थिति में हैं. फिर भी उनके नाम से उपस्थिति दर्ज की गई और मजदूरी का भुगतान भी किया गया.

बिना काम कराए खाते में पहुंच रहा पैसा
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि मौजूदा ग्राम प्रधान श्यामवती देवी के बेटे और प्रधान प्रतिनिधि दिनेश द्वारा बिना कोई कार्य कराए पैसे की निकासी की जा रही है. गांव में कराए गए मनरेगा कार्यों में ज्यादातर ऐसे लोग शामिल हैं जिन्होंने कोई काम नहीं किया, फिर भी उनके खातों में पैसा डाला गया.

इसके अलावा, ग्राम प्रधान ने अपने परिजनों के नाम भी लाभार्थी के रूप में दर्ज कर रखे हैं और उनके नाम से सरकारी धन की हेराफेरी की जा रही है.

ग्रामीणों ने जांच और वसूली की मांग की
गांव के नागरिकों ने उच्च अधिकारियों से मांग की है कि अब तक कराए गए सभी मनरेगा कार्यों की बारीकी से जांच कराई जाए और जिन लोगों के नाम से फर्जीवाड़ा किया गया है उनसे सरकारी धन की वसूली की जाए. लोगों का कहना है कि शिकायतें कई बार की गई हैं, लेकिन ब्लॉक स्तर पर जांच के नाम पर फाइलें ठंडे बस्ते में डाल दी जाती हैं.

प्रधान प्रतिनिधि ने आरोपों को बताया राजनीति से प्रेरित
ग्राम प्रधान प्रतिनिधि दिनेश ने अपने ऊपर लगे आरोपों को राजनीति से प्रेरित और निराधार बताया है. उन्होंने कहा कि यह सब आपसी रंजिश और पार्टीबंदी का नतीजा है. पहले भी कुछ लोगों ने उनके खिलाफ मानहानि के केस किए थे, जिन्हें कोर्ट ने खारिज कर दिया था.

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