बिना नक्शा पास कराए बनाया था मकान, संभल सांसद के पिता का कबूलनामा, अब कोर्ट से की यह मांग

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संभल में सांसद के मकान को लेकर चल रहे विवाद में अब बड़ा मोड़ आ गया है. बुधवार को एसडीएम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान सांसद के पिता ममलूकुर्रहमान बर्क ने लिखित रूप में स्वीकार किया कि मकान बिना नक्शा पास कराए ब…और पढ़ें

संभल सांसद के पिता ने मकान निर्माण को लेकर गलती मान ली है.
हाइलाइट्स
- सांसद के पिता ने मकान बिना नक्शा पास कराए बनाने की गलती मानी.
- एसडीएम कोर्ट में शमन शुल्क लगाकर नक्शा पास करने की अनुमति मांगी.
- मामले की अगली सुनवाई 26 मई को तय की गई है.
सुनील कुमार
संभल. जिले में सांसद के मकान विवाद ने अब नया मोड़ ले लिया है. लगातार आरोप-प्रत्यारोप के बीच अब खुद सांसद के पिता ममलूकुर्रहमान बर्क ने स्वीकार किया है कि मकान बिना नक्शा पास कराए बनाया गया था. उन्होंने एसडीएम कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर शमन शुल्क लगाकर मकान का नक्शा पास करने की अनुमति मांगी है. यह घटनाक्रम दिसंबर 2024 से चल रही कानूनी प्रक्रिया में एक बड़ा मोड़ माना जा रहा है. बुधवार को एसडीएम कोर्ट में हुई सुनवाई में सांसद के पक्ष से दो वकील पेश हुए. इन वकीलों ने अदालत में एक लिखित प्रार्थना पत्र दाखिल किया जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया कि मकान का नक्शा पास नहीं कराया गया था. प्रार्थना पत्र में आग्रह किया गया है कि शमन शुल्क के आधार पर अब मकान का नक्शा पास किया जाए.
मामले की अगली सुनवाई 26 मई को तय की गई है. अदालत अब यह देखेगी कि क्या शमन शुल्क लगाकर निर्माण को नियमित किया जा सकता है या नहीं. कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि अब जबकि पक्ष ने खुद ही गलती स्वीकार की है, तो मामला नियमानुसार आगे बढ़ेगा. अब तक सांसद का पक्ष लगातार यह दावा करता रहा था कि या तो मकान का नक्शा पहले से पास है या फिर कोई नया निर्माण नहीं हुआ है. लेकिन अब सांसद के पिता की ओर से दिया गया बयान इस दावे को पूरी तरह से खारिज करता है और स्वीकार करता है कि निर्माण बिना नक्शा पास कराए हुआ है. इस घटनाक्रम से स्थानीय लोग चकित हैं. उनका कहना है कि सांसद के पिता की ओर से कोर्ट में दिया गया बयान गलत है.
मकान का निर्माण नियमों के विरुद्ध और बिना अनुमोदन
इस पूरे मामले में विनियमित क्षेत्र (रेगुलेटेड एरिया) द्वारा भी पहले ही मकान मालिक को नोटिस दिया जा चुका है, जिसमें कहा गया था कि मकान का निर्माण नियमों के विरुद्ध और बिना अनुमोदन के किया गया है. बावजूद इसके अब तक कोई स्पष्ट स्थिति सामने नहीं आई थी, लेकिन सांसद के पिता की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र ने पूरे मामले को स्पष्ट कर दिया है.
चुप्पी साधे वकील और अधिकारी
पूरे घटनाक्रम में एक अहम पहलू यह भी रहा कि सांसद के वकील और एसडीएम दोनों ने मीडिया से बातचीत करने से इनकार कर दिया. किसी ने भी कैमरे पर बयान देने की जरूरत नहीं समझी. इससे मामले की संवेदनशीलता और गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है. सांसद के मकान विवाद में यह पहली बार है जब संबंधित पक्ष ने अपनी गलती स्वीकारी है. अब देखना यह होगा कि आगामी सुनवाई में अदालत क्या रुख अपनाती है और क्या शमन शुल्क के जरिए यह निर्माण वैध घोषित किया जाएगा या नहीं. फिलहाल यह मामला संभल जिले की राजनीति और प्रशासनिक हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है.