बाढ़ से डूबी फसल की चिंता छोड़ें…अगस्त में लगा दें बासमती धान की ये टॉप 4 किस्में! होगा बंपर उत्पादन

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Paddy Farming Tips : यूपी के तराई जिलों में बाढ़ का कहर जारी है ऐसे में किसान चिंता में हैं. हालांकि बाढ़ से तबाह हुई फसल के बाद किसान अगस्त महीने में बासमती धान की खेती कर नुकसान की भरपाई कर सकते हैं. अच्छी बात…और पढ़ें
कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर में तैनात कृषि एक्सपर्ट डॉ एन सी त्रिपाठी ने बताया कि बाढ़ के बाद उत्तर प्रदेश के कई जिलों में फसलों को नुकसान पहुंचा है. जिन क्षेत्रों में अब बाढ़ के बाद खेतों से पानी निकल गया है तो वह किसान अब दूसरी फसल लगाने के बारे में सोच रहे हैं. धान की कुछ ऐसी किस्में हैं, जिनकी रोपाई अभी भी की जा सकती है. अगर किसानों के पास पौध उपलब्ध हो तो धान की यह चुनिंदा किस्में लगाकर पूरा उत्पादन ले सकते हैं.
बासमती की इन 5 किस्मों से करें खेती
गौरतलब है कि मोटे धान के मुकाबले महीन धान यानी बासमती कम दिनों में पक कर तैयार हो जाती है. खास बात यह है कि बासमती धान की मांग बाजार में ज्यादा रहती है. बासमती की कई ऐसी किस्में हैं, जिनको देरी से रोपाई करने पर भी पूरा उत्पादन लिया जा सकता है. बासमती धान की किस्म PB-1509, PB-1609, PB- 1692 और PB-1847 जो कि 115 से 120 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. बासमती धान की इन किस्मों की रोपाई अभी भी की जा सकती है. कम दिनों में पकने वाली धान की इन किस्म से किसान बेहद अच्छा मुनाफा ले सकते हैं.
इस बात का रखें खास ध्यान
बासमती धान की इन किस्म की रोपाई करते समय ध्यान रखें कि अगर किसानों को पौध मिल जाए तो वह रोपाई कर दें. बासमती धान की 25 से 28 दिन तक की ही पौध की ही रोपाई करें. जिससे पौधे में ज्यादा कल्ले आएंगे और पैदावार भी अच्छी मिलेगी. बासमती धान की इन किस्म से 18 से 20 क्विंटल तक प्रति हेक्टेयर के उपज ली जा सकती है. रोपाई के बाद किसान संतुलित मात्रा में उर्वरकों की पूर्ति भी करें.