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फसल है कि ATM मशीन! 8 गुना मुनाफे की खेती से किसान बना धनवान, घर बैठे कर रहा छप्परफाड़ कमाई

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Rampur Satavari Farming: यूपी के रामपुर में एक किसान ने कमाल कर दिया है. किसान गुलफाम ने 15 एकड़ भूमि पर शतावरी की खेती की है. शतावरी की खेती 18 महीने में तैयार होती है. इस खेती से किसान घर बैठे बंपर कमाई कर रह…और पढ़ें

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20 हजार खर्च, मुनाफा डेढ़ लाख, 15 एकड़ में शतावरी की खेती से गुलफाम अली की किस्मत

हाइलाइट्स

  • गुलफाम अली ने 15 एकड़ में शतावरी की खेती से मुनाफा कमाया.
  • शतावरी की खेती में 20 हजार खर्च, मुनाफा 1.5 लाख तक.
  • शतावरी की खेती में कम पानी और देखरेख की जरूरत.

रामपुर: अगर आपमें कुछ नया करने का जज्बा हो, तो खेत भी सोना उगलते हैं. ऐसा ही यूपी में रामपुर जनपद के किसान ने कर दिखाया है. स्वार तहसील के गांव जटपुरा निवासी किसान गुलफाम अली इसके जीते-जागते उदाहरण हैं. उन्होंने परंपरागत खेती छोड़कर शतावरी की खेती शुरू की. इस खेती से वह सालाना लाखों रुपए कमा रहे हैं. बता दें कि किसान गुलफाम 15 एकड़ जमीन में शतावरी उगा रहे हैं.

18 माह में तैयार होती है ये औषधि

किसान गुलफाम ने बताया कि शतावरी की खेती में 1 बीघा पर लगभग 20 हजार रुपए खर्च आता है, लेकिन मुनाफा 150000 रुपये तक हो जाता है. यह एक औषधीय पौधा है, जिसका इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवाओं में किया जाता है. शतावरी को तैयार होने में करीब 18 महीने लगते हैं. वहीं, प्रोसेसिंग में 3 साल का समय लग जाता है.

गुलफाम बताते हैं कि शतावरी की खेती बीजों से होती है. प्रति एकड़ करीब 5 किलो बीज की जरूरत पड़ती है. बीजों से पौध तैयार करने के बाद इन्हें खेत में लगाया जाता है. जब पौधे अच्छे से बढ़ जाते हैं, तो उनकी जड़ों की खुदाई की जाती है. इन जड़ों को अलग-अलग करके सुखाया जाता है. खुदाई के समय करीब 350 कुंतल गीली जड़ें मिलती हैं, जो सुखने के बाद 35 कुंतल रह जाती हैं.

कम पानी में होती है तैयार

इस फसल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे बहुत कम पानी की जरूरत होती है. महीने में केवल एक बार सिंचाई काफी होती है. साथ ही, न तो इस पर कोई कीड़ा लगता है और न ही जानवर इसे नुकसान पहुंचाते हैं. यानी देखरेख आसान है और खर्च भी बहुत कम है.

लखनऊ के मंडी में होती है बिक्री

फसल काटने के बाद शतावरी को लखनऊ की मंडी में भेजा जाता है. वहां से रामनगर स्थित फैक्ट्री जाती है. जहां दवा बनाकर इसे विदेशों तक भेजा जाता है. किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए कहीं भटकना नहीं पड़ता है. यही इसकी सबसे बड़ी खूबी है.

जानें कब होती है बुआई

गुलफाम अली बताते हैं कि शतावरी की बुवाई फरवरी में शुरू हो जाती है. जून-जुलाई तक इसका रोपण किया जा सकता है. यदि खेत की तैयारी सही तरीके से की जाए और थोड़ी मेहनत की जाए तो यह फसल शानदार मुनाफा देती है. गुलफाम की मेहनत अब दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा बन गई है. वह चाहते हैं कि और लोग भी इस औषधीय खेती को अपनाएं. ताकि कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा सकें.

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