चित्रकूट में हरिद्वार वाला पुण्य! इस कुएं में है राजाओं के राज्याभिषेक वाला जल, बड़े भाई के लिए लाए थे भरत

आखरी अपडेट:
Bharat koop in Chitrakoot : चित्रकूट मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर ये कस्बा एक ऐसे दिव्य कुएं के लिए सदियों से फेमस है, जिसमें सभी तीर्थों का जल मिल जाएगा. इस कुएं को आज ‘भरतकूप’ के नाम से जानते हैं.

फोटो
हाइलाइट्स
- इसका जल पवित्र और रोगमुक्ति देने वाला माना जाता है.
- भरतकूप में सभी तीर्थों का जल समाहित है.
- यहां स्नान से प्रयागराज और हरिद्वार जैसा पुण्य मिलता है.
भरत कोप। भगवान राम की तपोभूमि चित्रकूट धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से बेहद पूजनीय है. इसी पवित्र भूमि में भरतकूप नाम का एक ऐसा स्थान है, जो भगवान राम के वनवास की कथा को जीवंत करता है. चित्रकूट मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर स्थित ये कस्बा एक ऐसे दिव्य कुएं के कारण प्रसिद्ध है, जिसमें सभी तीर्थों का जल समाहित है. मान्यता है कि जब भगवान राम वनवास के दौरान चित्रकूट आए थे, तब उनके भाई भरत उन्हें अयोध्या वापस ले जाने के लिए पहुंचे थे. इस दौरान भरत जी अपने साथ प्रभु श्रीराम के राज्याभिषेक के लिए सभी तीर्थों का जल लेकर आए थे. जब भगवान राम ने राज्याभिषेक स्वीकार नहीं किया, तो भरत जी ने ऋषि अत्रि की आज्ञा से वो तीर्थजल भरतकूप स्थित एक विशाल कुएं में अर्पित कर दिया. उसी कुएं को आज ‘भरतकूप’ के नाम से जाना जाता है. बाद में कस्बे का नाम भी इसी पर पड़ा गया.
स्नान, ध्यान, पूजन
भरत मंदिर के पुजारी दिव्य जीवन दास महाराज बताते हैं कि भरत जी प्रभु श्रीराम के राज्याभिषेक के लिए अयोध्या से खड़ाऊं लेकर चित्रकूट आए थे. उन्होंने विभिन्न तीर्थस्थलों का जल एक लोटे में एकत्र कर श्रीराम को राज्याभिषेक के लिए भेंट किया, लेकिन प्रभु राम ने उसे स्वीकार नहीं किया. इसके बाद भरत जी ने वो जल भरतकूप में विसर्जित कर दिया था.
भरतकूप आज भी लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है. देश-विदेश से श्रद्धालु यहां सालभर पहुंचते रहते हैं. स्नान, ध्यान और पूजन कर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं. भरतकूप का जल पवित्र माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस कुएं का जल पीने और उसकी परिक्रमा करने से श्रद्धालुओं को रोगमुक्ति मिलती है. उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. यहां स्नान करने से प्रयागराज और हरिद्वार जैसे पुण्य की प्राप्ति होती है.