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क्या है बैकयार्ड पोल्ट्री सिस्टम, एक्सपर्ट से जानें कम जगह में कैसे करें मुर्गी पालन

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Backyard Poultry System : खुले वातावरण में पली मुर्गियों के अंडे और मांस की गुणवत्ता अच्छी होती है. मुर्गियां कम जगह लेती हैं. एक छोटे से शेड या झोपड़ी में 10-20 मुर्गियों के पालन से इसकी शुरुआत की जा सकती है.

एक्स

बैकयार्ड

बैकयार्ड पोल्ट्री सिस्टम.

गोंडा. अगर आप कम जगह में और कम लागत में आय का बढ़िया जरिया ढूंढ रहे हैं, तो बैकयार्ड पोल्ट्री सिस्टम आपके काम आ सकता है. गोंडा के दीनदयाल शोध संस्थान में इस सिस्टम को समझाने के लिए नि:शुल्क ट्रेनिंग दी जा रही है. इससे ग्रामीण और शहरी दोनों लाभ उठा सकते हैं. अपने घर के पीछे या खाली जगह में मुर्गियों को पालने में ज्यादा खर्च नहीं आता. खुले वातावरण में पली मुर्गियों के अंडे और मांस की गुणवत्ता भी अच्छी होती है. लोकल 18 से बातचीत में कृषि वैज्ञानिक डॉ. अभिषेक मिश्रा बताते हैं कि एक छोटे से शेड या झोपड़ी में 10-20 मुर्गियों से इसकी शुरुआत की जा सकती है. मुर्गियों के लिए दाने, पानी और थोड़ी-सी जगह की जरूरत होती है.

देशी नस्ल की ग्रोथ अच्छी

डॉ. अभिषेक बताते हैं कि मुर्गियों की लोकल नस्लों को पालना फायदेमंद होता है क्योंकि ये कम बीमार पड़ती हैं और कम देखभाल में भी अच्छी ग्रोथ करती हैं. बैकयार्ड पोल्ट्री सिस्टम में आप अपने घर के पीछे या खाली पड़ी जमीन में आसानी से मुर्गियां पाल सकते हैं. इसमें ज्यादा खर्च नहीं होता. खुले माहौल में पली मुर्गियों के अंडे और मांस अधिक गुणकारी होते हैं. डॉ. अभिषेक के अनुसार, बैकयार्ड पोल्ट्री सिस्टम में देसी नस्ल की मुर्गियों का पालन करना चाहिए. इन मुर्गियों में कड़कनाथ, सोनाली, असील, बुसरा, मेवाड़ी और हरिंगघाटा ब्लैक शामिल हैं.

आय का स्थायी स्रोत

डॉ. अभिषेक मिश्रा कहते हैं कि बैकयार्ड पोल्ट्री सिस्टम ग्रामीण महिलाओं और बेरोजगार युवाओं को आत्मनिर्भर बना सकता है. अगर इसके तहत मुर्गियों को सही तरीके से पाला जाए तो ये एक स्थायी आय का स्रोत बन सकता है. डॉ. अभिषेक के अनुसार, अगर आप भी बैकयार्ड पोल्ट्री सिस्टम को समझना चाहते हैं तो दीनदयाल संस्थान से संपर्क कर प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं.

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