कोविड में गई नौकरी, गांव आकर बनाई पहचान…देवरिया के धीरज सिंह की ‘बर्थडे हवेली’ बनी युवाओं के लिए इंस्पिरेशन!

आखरी अपडेट:
कोविड महामारी में नौकरी खोने के बाद देवरिया के धीरज सिंह ने हार नहीं मानी और ‘बर्थडे हवेली’ नाम से रेस्टोरेंट शुरू किया. आज उनका रेस्टोरेंट देवरिया से कुशीनगर तक प्रसिद्ध है.

बर्थडे हवेली रेस्टोरेंट
हाइलाइट्स
- कोविड में नौकरी खोने के बाद धीरज ने रेस्टोरेंट शुरू किया.
- ‘बर्थडे हवेली’ देवरिया से कुशीनगर तक प्रसिद्ध है.
- धीरज ने छह लोगों को रोजगार देकर मदद की.
देवरिया: कोविड महामारी ने लाखों लोगों की ज़िंदगी को बदल दिया. किसी की नौकरी चली गई तो किसी का सपना अधूरा रह गया. लेकिन कुछ लोगों ने मुश्किल हालातों को हराकर नई राह बना ली. ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी है उत्तर प्रदेश के देवरिया ज़िले के मऊवाडीह गांव के धीरज सिंह की. धीरज जिन्होंने 12वीं तक की पढ़ाई देवरिया के विद्या मंदिर से की इसके बाद वह मुंबई चले गए, जहां एक होटल में शेफ की नौकरी करने लगे. ज़िंदगी सामान्य चल रही थी, लेकिन फिर कोविड आ गया. महामारी के दौरान होटल बंद हो गया और धीरज की नौकरी भी चली गई।
हार नहीं मानी, शुरू किया रेस्टोरेंट
कोविड के दौरान मुंबई से गांव लौटे धीरज ने हार मानने के बजाय नया रास्ता चुना. अपने अनुभव का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने ‘बर्थडे हवेली’ (Birthday Haveli Restaurant) नाम से एक छोटा सा रेस्टोरेंट शुरू किया. शुरुआत में छोटे स्तर पर काम शुरू हुआ, लेकिन धीरे-धीरे मेहनत रंग लाई. लोगों को उनके बनाए केक और नूडल्स काफी पसंद आने लगे. आज ‘बर्थडे हवेली’ की पहचान देवरिया से लेकर कुशीनगर तक बन चुकी है. जन्मदिन, पार्टी और अन्य आयोजनों के लिए लोग उन्हीं के रेस्टोरेंट से ऑर्डर देना पसंद करते हैं.
लोगों को दे रहे रोजगार
अब धीरज अकेले नहीं हैं, उनके दो छोटे भाई – सुयश और पुष्पेंद्र – भी इस रेस्टोरेंट में उनके साथ काम कर रहे हैं. इतना ही नहीं, धीरज ने छह और लोगों को रोजगार देकर उनके जीवन में भी उजाला ला दिया है. कम पढ़ाई, सीमित संसाधन और कठिन हालातों के बावजूद धीरज ने जो सपना देखा, उसे मेहनत और लगन से पूरा किया. आज ‘बर्थडे हवेली’ सिर्फ एक रेस्टोरेंट नहीं, बल्कि उन युवाओं के लिए मिसाल है जो अपने दम पर कुछ बड़ा करना चाहते हैं. धीरज सिंह की कहानी सिखाती है – अगर इरादे मज़बूत हों, तो कोई भी मुश्किल रास्ता रोक नहीं सकता.