तालीम के सच्चे सिपाही थे एम हबीब खान, जिनकी रोशनी आज भी लोगों के दिलों में है जिंदा

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Aligarh News: एम हबीब खान की लिखी 24 उर्दू की किताबें और विभिन्न शायरों पर किया गया काम उनकी अदबी गहराई का सबूत है. उनके पढ़ाए छात्र आज भारत के विभिन्न हिस्सों में बेहतरीन ओहदों पर तैनात है.
उनकी लिखी 24 उर्दू की किताबें और विभिन्न शायरों पर किया गया काम उनकी अदबी गहराई का सबूत है. उनके पढ़ाए छात्र आज भारत के विभिन्न हिस्सों में बेहतरीन ओहदों पर तैनात है. उनके बेटे एम जमाल खान बताते है कि हबीब साहब के संबंध पूर्व प्रधानमंत्रियों इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, वी.पी. सिंह और इंद्र कुमार गुजराल से बेहद करीबी थे, मगर उन्होंने कभी इसका निजी फायदा नहीं उठाया.
एम जमाल खान ने बताया कि एम हबीब खान साहब के संबंध इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, इंद्र कुमार गुजराल और वी.पी. सिंह जैसे पूर्व प्रधानमंत्रियों से बेहद करीबी थे. इसके बावजूद उन्होंने कभी इसका निजी फायदा नहीं उठाया, बल्कि लोगों की बहुत मदद की. 1985 में इंदिरा गांधी की बरसी पर दिल्ली के अशोका हॉल में एक मुशायरा का आयोजन किया गया. जिसमें उन्होंने अलीगढ़ के लोगों को शामिल कराया.
एम हबीब खान के बारे में जानकारी देते हुए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग के पूर्व अध्यक्ष सगीर इफराहीम ने बताया कि एम हबीब खान साहब उनके सीनियर और आदर्श हुआ करते थे. उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी शिक्षा के नाम वक्फ कर दी थी. उन्होंने अलीगढ़ से लेकर दिल्ली तक के राजनीतिक गलियारों से गहरा संबंध रखा, लेकिन कभी अपने लिए कोई फायदा नहीं लिया बल्कि अपना पूरा जीवन दूसरों की मदद करते हुए बिताया. एम हबीब खान साहब हमारे लिए एक मिसाल है. जिन्हें हम कभी भुला नहीं सकते.