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तालीम के सच्चे सिपाही थे एम हबीब खान, जिनकी रोशनी आज भी लोगों के दिलों में है जिंदा

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Aligarh News: एम हबीब खान की लिखी 24 उर्दू की किताबें और विभिन्न शायरों पर किया गया काम उनकी अदबी गहराई का सबूत है. उनके पढ़ाए छात्र आज भारत के विभिन्न हिस्सों में बेहतरीन ओहदों पर तैनात है.

अलीगढ़ः उत्तर प्रदेश के जनपद अलीगढ़ ने कई महत्वपूर्ण व्यक्तियों को जन्म दिया है, लेकिन कुछ नाम समय के साथ और भी चमकते हैं. उनमें से एक नाम एम हबीब खान का है, जो एक ऐसे शिक्षक थे. जिन्होंने जीवनभर मुफ्त शिक्षा देकर आने वाली पीढ़ियों को रोशन किया. 11 जुलाई 1934 को जन्मे एम हबीब खान ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से जुड़े चमन स्कूल (ऊपरकोट, काज़ीपाड़ा) में निस्वार्थ भाव से बच्चों को पढ़ाया और समाज को सच्चे मायनों में रोशन किया.

उनकी लिखी 24 उर्दू की किताबें और विभिन्न शायरों पर किया गया काम उनकी अदबी गहराई का सबूत है. उनके पढ़ाए छात्र आज भारत के विभिन्न हिस्सों में बेहतरीन ओहदों पर तैनात है. उनके बेटे एम जमाल खान बताते है कि हबीब साहब के संबंध पूर्व प्रधानमंत्रियों इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, वी.पी. सिंह और इंद्र कुमार गुजराल से बेहद करीबी थे, मगर उन्होंने कभी इसका निजी फायदा नहीं उठाया.

एम जमाल खान बताते हैं कि एम हबीब खान उनके पिता थे और उनका जन्म 11 जुलाई 1934 को हुआ था. उन्होंने अपने जीवन में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के एक स्कूल, जिसे अलीगढ़ के ऊपरकोट के काज़ीपाड़ा इलाके में चमन स्कूल के नाम से जाना जाता है, में मुफ्त में बच्चों को शिक्षा दी. उनके पढ़ाए बच्चे आज देश के विभिन्न हिस्सों में काम कर रहे है और भारत में कई अच्छी जगह पर नियुक्त है. उन्होंने अपने जीवन में 24 उर्दू किताबें लिखीं और विभिन्न शायरों पर काम किया.

एम जमाल खान ने बताया कि एम हबीब खान साहब के संबंध इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, इंद्र कुमार गुजराल और वी.पी. सिंह जैसे पूर्व प्रधानमंत्रियों से बेहद करीबी थे. इसके बावजूद उन्होंने कभी इसका निजी फायदा नहीं उठाया, बल्कि लोगों की बहुत मदद की. 1985 में इंदिरा गांधी की बरसी पर दिल्ली के अशोका हॉल में एक मुशायरा का आयोजन किया गया. जिसमें उन्होंने अलीगढ़ के लोगों को शामिल कराया.

इस मुशायरे की अध्यक्षता तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जयसिंह कर रहे थे और इसमें अलीगढ़ के लोगों को शिरकत करने का मौका मिला, जो एम जमाल खान द्वारा ही संभव हो पाया था. वह सामाजिक कार्यों में लोगों की मदद करने में विश्वास रखते थे. अलीगढ़ के हमदर्द नगर जमालपुर पेट्रोल पंप के बराबर वाले रोड का नाम नगर निगम द्वारा हबीब खान रोड रखा गया था और 2004 में सांसद निधि द्वारा इसका निर्माण कराया गया. एम हबीब खान साहब ने 2 मार्च 1998 को दुनिया को अलविदा कह दिया, जिन्हें आज भी अलीगढ़वासी दिल से याद करते हैं.

एम हबीब खान के बारे में जानकारी देते हुए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग के पूर्व अध्यक्ष सगीर इफराहीम ने बताया कि एम हबीब खान साहब उनके सीनियर और आदर्श हुआ करते थे. उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी शिक्षा के नाम वक्फ कर दी थी. उन्होंने अलीगढ़ से लेकर दिल्ली तक के राजनीतिक गलियारों से गहरा संबंध रखा, लेकिन कभी अपने लिए कोई फायदा नहीं लिया बल्कि अपना पूरा जीवन दूसरों की मदद करते हुए बिताया. एम हबीब खान साहब हमारे लिए एक मिसाल है. जिन्हें हम कभी भुला नहीं सकते.

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