बरेली की डरावनी विरासत, 200 साल पुराना ‘गोरों का कब्रिस्तान’ आज भी सुनाई देती हैं रहस्यमयी आवाजें

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कब्रिस्तानबरेली के वरिष्ठ पत्रकार एवं इतिहासकार डॉ राजेश शर्मा बताते हैं कि बरेली में अंग्रेजों का कब्रिस्तान इसलिए बनाया गया था. जब अंग्रेज भारत प्रशासन करने आए थे. उस समय भारत की स्थिति अंग्रेजों के लिए अनुकू…और पढ़ें
अगर आप भी जानना चाहते हैं बरेली के इस स्थान के बारे मे तो आपको बताते चलें कि हम बात कर रहे हैं, नाथनगरी बरेली के कैंट क्षेत्र में स्थित अंग्रेजों के कब्रिस्तान की. जिसे गोरों का कब्रिस्तान भी कहा जाता है. यहां पर कई अंग्रेजी सिपाहियों और अधिकारियों की कब्र भी बनी हुई है. जिसमें से कुछ कब्रें अब मिट चुकी हैं. बरेली में रहने वाले कुछ लोग आज भी बताते हैं कि उनके पूर्वजों के कब्रें यहां पर आज भी स्थित है. इस कब्रिस्तान का निर्माण सन 1889 में हुआ था. तब से लेकर आज तक यह स्थान गोरों के कब्रिस्तान के नाम से भी जाना जाता है.
आखिर क्यों बना बरेली में अंग्रेजों का कब्रिस्तानबरेली के वरिष्ठ पत्रकार एवं इतिहासकार डॉ राजेश शर्मा बताते हैं कि बरेली में अंग्रेजों का कब्रिस्तान इसलिए बनाया गया था. जब अंग्रेज भारत प्रशासन करने आए थे. उस समय भारत की स्थिति अंग्रेजों के लिए अनुकूल नहीं थी. इस समय नकटिया का युद्ध भी हुआ था. जिसमें काफी सारे अंग्रेज सिपाही और अधिकारी मारे गए थे जिनको दफनाने के लिए अंग्रेजी हुकूमत के द्वारा एक बड़ी जगह खरीदी गई थी, जहां पर उन अधिकारियों की और उन सैनिकों की कब्र बनाई गई थी. आज भी वह कब्र वहीं पर मौजूद है. इसके अलावा कई भव्य कब्रें वहां पर अंग्रेजी शासको द्वारा बनाई गई थी. इसीलिए बरेली में अंग्रेजों के कब्रिस्तान को बनाया गया था.
आज भी आती है अजीबो गरीब आवाज
प्रामाणिक नहीं परंतु सच है यह बातें डॉ राजेश शर्मा बताते हैं कि हम काफी समय से सुनते आ रहे हैं. यहां पर रात में कब्रों से आवाज सुनाई देती है. लेकिन बात यह है अंग्रेजी शासन के दौरान नकटिया का जो युद्ध बरेली में हुआ था और कई अन्य युद्ध भी हुए थे, उस समय जो अंग्रेजी सिपाही और अन्य अधिकारी मारे गए थे यहां पर उनकी खबरें बनी हुई है. इन्हीं कारणों से यह जगह काफी डरावनी भी लगती है. कहा जाता है कि रात में इन जगहों पर कुछ आवाज़ भी आती है लेंकिन यह बातें सिर्फ लोगों के मुंह से सुनी जाती है. लेंकिन यह बात किसी भी तरह से प्रमाणित नहीं है. सिर्फ लोगों के द्वारा काफी वर्षों से सुनी जाती है.