अगर अपना लिया अमरूद की बागवानी का ये सीक्रेट फार्मूला… 4 सालों में हो जाएंगे मालामाल, देखें ये 5 टिप्स

लोकल 18 से बातचीत के दौरान प्रगतिशील किसान सुशील निषाद बताते हैं कि वे लगभग 8 से 10 वर्षों से अमरूद की बागवानी कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि गोंडा के वातावरण के लिए ताइवान पिंक अमरूद की वैरायटी काफी अच्छी मानी जाती है. सही समय पर पौधे की रोपाई करें, अच्छे वैरायटी का चयन करें, पौधों के बीच पर्याप्त दूरी रखें, नियमित कटाई करें, जैविक खाद और सिंचाई का ध्यान दें. यह सब करने से किसान भाई को अमरूद की बागवानी से अच्छा इनकम हो सकता है.
किसान सुशील निषाद बताते हैं कि उन्होंने 8-10 साल पहले अमरूद की बागवानी शुरू की थी. गोंडा के मौसम और मिट्टी के अनुसार ताइवान पिंक अमरूद की किस्म बहुत उपयुक्त है. यह किस्म स्वाद में बेहतरीन, आकार में अच्छा और लंबे समय तक टिकने वाली होती है. बाजार में इसकी अच्छी मांग बनी रहती है.
किसान रामपाल वर्मा के 5 जरूरी टिप्स
अच्छी किस्म का चयन करें : बागवानी की शुरुआत किसी भी फसल की सही किस्म से होती है. ताइवान पिंक, लखनऊ 49 जैसी उन्नत किस्में ज्यादा उत्पादन और गुणवत्ता देती हैं.
पौधों में रखें सही दूरी : अमरूद के पौधों के बीच कम से कम 5 से 6 फीट की दूरी होनी चाहिए ताकि पौधों को भरपूर धूप, हवा और पोषण मिल सके. इससे फलने की क्षमता भी बढ़ती है.
जैविक खाद और सिंचाई पर दें ध्यान: समय-समय पर गोबर की खाद, वर्मी कम्पोस्ट और नीमखली का प्रयोग करें. गर्मियों में नियमित सिंचाई और बरसात के समय जलनिकासी का इंतजाम बहुत जरूरी है.
कम लागत, ज़्यादा मुनाफा: सुशील निषाद बताते हैं कि अमरूद की खेती में खर्च कम आता है और अगर बागवानी को व्यवस्थित रूप से किया जाए तो प्रति एकड़ सालाना 2-3 लाख रुपए की आमदनी आराम से हो सकती है. बाजार में अमरूद की मांग सालभर बनी रहती है, जिससे किसानों को बिक्री की दिक्कत नहीं आती.